पश्चिम बंगाल के विधाननगर में उपद्रवियों ने रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा तोड़ डाली। शनिवार को प्रतिमा तोड़े जाने के बाद से इलाके में माहौल तानवपूर्ण बना गया। पुलिस को मौके पर तैनात कर दिया गया है और मामले की तफ्तीश की जा रही है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक टीएमसी नेता निर्मल दत्ता ने बताया कि घटना को 3 लोगों ने अंजाम दिया। जिनमें से एक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जबकि, दो भागने में कामयाब रहे। प्रतिमा तोड़ने के पीछे मकदस क्या है, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।

टैगोर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा को साफ तौर पर तस्वीर में देखा जा सकता है। यह तस्वीर एएनआई ने ट्वीट किया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी महान विभूति की प्रतिमा को तोड़ने का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी और भी हस्तियों की प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त करने का मामला सामने आ चुका है।

 

पिछले साल ही आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के साथ तोड़फोड़ का मामला सामने आया। इससे पहले भी मूर्ति तोड़ने की वारदात त्रिपुरा में सामने आई जहां रूसी क्रांति के महानायक व्लादिमीर लेनिन की की प्रितमा को गिराया गया था। इसके बाद तमिलनाडु में भी समाज सुधारक रामासामी पेरियार की मूर्ति तोड़ दी गई। वहीं, पश्चिम बंगाल में जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया।

मूर्तियों को तोड़ने के कई मामलों में उपद्रवियों के राजनीतिक विचारधाराओं के प्रति द्वेष देखने को मिला है। लेकिन, टैगोर की प्रितमा को नुकसान पहुंचाने का असल मकसद अभी पता नहीं चल पाया है। उल्लेखनीय है कि रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, लेखक, संगीतकार और सांस्कृतिक चेतना में जान फूंकने वाले शख्स थे। उनके दर्शन, संगीत और चित्रकारी दुनिया की महान श्रेणी में अपना स्थान बनाए हुए हैं। देश का राष्ट्रगान भी रवींद्रनाथ टैगोर ने ही लिखा था। एक खास बात यह भी है कि टैगोर ही एक मात्र ऐसे कवि एवं लेखक हैं जिनकी कृति दो देशों में बतौर राष्ट्रगान के रूप में गायी जाती है। भारत के अलावा बांग्लादेश में भी उन्ही के द्वारा लिखे गए गीत को राष्ट्रगान बनाया गया। वैश्विक स्तर पर भी उनकी गरिमा और ख्याति काफी है। साहित्य के रूप में पहला नोबल पुरस्कार पाने वाले भारतीय टैगोर ही थे।