इस वक्त पूरी दुनिया में रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। इस पूरे महीने के दौरान मुसलिम समुदाय के लोग सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास करते हैं। ऐसे में लंबे समय तक भूखे रहने से होने वाली जटलिताओं (खास कर मधुमेह के रोगियों को) के बारे में जागरूक होना जरूरी है।

कुछ रोजेदार बीमारी में भी महीना भर रोजा रखते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें मधुमेह जैसी बीमारियां हैं। जिन्हें टाईप वन या टू डायबिटिज है उन्हें खास ध्यान रखना होगा। इस बार रमजान गर्मियों में है, तो रोजे का वक्त 15 घंटे तक लंबा भी हो सकता है। खाने के दौरान लंबा अंतराल शरीर के अंदर पाचनतंत्र में बदलाव ला सकता है जो मधुमेह के मरीज़ों के लिए समस्या पैदा कर सकता है। रोजे के शुरूआती दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण होते हैं।

एंडोक्राइनोलाजिस्ट व साउथ एशिया फेडरेशन आॅफ एंडोक्राइन सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉक्टर संजय कालरा ने बताया कि पहली और सबसे अहम सलाह यह है कि जिन लोगों को मधुमेह है उन्हें रमजान के दौरान अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। कभी उपवास के लिए लंबे अंतराल में पौष्टिकता के स्तर में काफी बदलाव आ जाता है जिससे शर्करा के स्तर में बदलाव आ जाता है। इससे मरीज को हायपोग्लिसीमिया हो सकता है, जो अचानक ब्लड शुगर कम होने का संकेत होता है। इस हालत में मरीज बेहोश हो सकता है या दौरा पड़ सकता है। इस स्थिति को हाईपरग्लीसीमिया जिसका मतलब होता है ब्लड शुगर में अचानक बढ़ोतरी जिससे कमजोरी, प्यास, सिरदर्द, नजर में धुंधलापन आ सकता है। टाइप वन डायबिटीज के मरीजों को हाईपोग्लीसीमिया का खतरा ज़्यादा होता है।

उपवास तोड़ते वक्त अधिक खाना भी रमजान का हिस्सा होता है और मधुमेह के मरीजों को अपने खानपान का इन दिनों में खास ध्यान रखना चाहिए। डॉक्टर कालरा कहते हैं कि मधुमेह के मरीज़ों को पूरा दिन भूखे रहने के बाद रोजा खोलते वक्त खुद पर थोड़ा नियंत्रण रखना चाहिए। एम्स की खानपान विशेषज्ञ अंजलि के मुताबिक इस बात का भी ध्यान रखें कि शरीर में पानी की उचित मात्रा बनी रहे और मीठे कोल्ड ड्रिंक और कैफीन युक्त पेय से बचें। जूस की तुलना में फल को तरजीह दें क्योंकि यह प्राकृति मीठे से भरपूर होते हैं।

सहरी के वक्त छोटे-छोटे हिस्सों में खाना खाना चाहिए और इसमें ज्यादा प्रोटीन और कम कार्बोहाईड्रेट होने चाहिए जिसमें काफी सारे फल, साबुत अनाज, लेंनटिल्स, साबुत अनाज की ब्रेड, कम चीनी वाले अनाज और बीन्स शामिल हों। मिठाइयां, तली हुए चीज़ें और ज्यादा मीठे और नमक वाले पकवानों से बचना चाहिए। सहरी में अंडे और दाल जैसी प्रोटीन से भरपूर चीजें लें। इससे पूरे दिन के लिए ऊर्जा मिलेगी। उच्च डायबिटीज के सभी मरीज जो रमजान के दौरान रोजे रखने जा रहे हैं उन्हें शुरुआत में अपनी जांच जरूर करवा लेना चाहिए।

अधिक मीठे, वसा और कार्बोहाईड्रेट वाले खाने से बचें। इससे खाने के बाद का हाईपरग्लेसिमिया हो सकता है। डीहाईड्रेशन से बचने के लिए मीठा रहित ज्यादा तरल आहार लेते रहें। जिन्हें टाइप वन डायबिटीज है उन्हें डॉक्टर से इंसुलिन की खुराक तय करवा लेनी चाहिए क्योंकि हाईपोग्लेस्मिया का खतरा होता है। टाईप-2 मधुमेह वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेकर आहार चार्ट बनवा लेना चाहिए और मधुमेह प्रबंधन की योजना बना लेनी चाहिए। प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए मधुमेह की जांच लगातार करते रहनी चाहिए। अगर मरीज के खून में शर्करा की मात्रा 70 से कम हो जाए या 300 तक पहुंच जाए तो उसे तुरंत रोजा खोल लेना चाहिए।