राज्यसभा के सदस्य जुलाई में होने वाले मॉनसून सत्र से बैज के रूप में राष्ट्रीय ध्वज लगाकर सदन में आ सकेंगे। उच्च सदन ने सांसदों के इस तरह का बैज पहनकर आने पर लगाए गए प्रतिबंध को समाप्त कर इसकी अनुमति देने का फैसला किया है। राज्यसभा की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उच्च सदन के सदस्यों को राज्यसभा की सामान्य उद्देश्य समिति की सिफारिश पर इस तरह का बैज पहनकर आने की अब अनुमति है।

तीन मई को हुई बैठक में समिति ने यह सिफारिश की थी जिसपर राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने सहमति जताई थी। समिति ने यह सिफारिश तब की जब कांग्रेस सदस्य विजय जवाहर लाल दर्डा के सुझाव पर चर्चा हुई। दर्डा ने सांसदों को राष्ट्रीय ध्वज वाला बैज लगाकर सदन में आने की अनुमति देने का सुझाव दिया था।

परिपाटी और सभापति की ओर से 1985 में दी गई व्यवस्था के तहत उच्च सदन के सदस्यों के राष्ट्रीय ध्वज समेत कोई भी बैज लगाकर सदन में आने की अनुमति नहीं थी। साल 2010 में लोकसभा की नियम मामलों की समिति ने अपवाद की व्यवस्था की और निचले सदन के सदस्यों को राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में तिरंगा बैज लगाकर सदन में आने की अनुमति दे दी।

तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने नियम 349 में संशोधन किया था जिसमें कहा गया था कि सांसद सदन में राष्ट्रीय ध्वज वाले बैज के अलावा और कोई बैज पहनकर नहीं आएंगे। इसके जरिए सांसदों के बैज पहनकर सदन में आने पर रोक लगाने वाली परिपाटी को तोड़ा गया था।