Rajnath Singh Birthday Special: राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) का जन्म 10 जुलाई 1951 में चंदौली जिले की चकिया तहसील के एक छोटे से गांव रघुनाथपुर में हुआ था। भारतीय राजनीति में राजनाथ सिंह को उन नेताओं में शुमार किया जाता है जिनकी मुरीद विरोधी भी हैं। लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने तमाम दौर देखें, सफलताओं की कुर्सी पर भी विराजे और असफलताओं को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी किया। बीजेपी के स्वर्णिम युग का बीज भी राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के हाथों ही बोया गया था। जब तमाम विरोधों के बीच बतौर पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था। वहां से शुरू हुआ बीजेपी का विजय अभियान अभी भी जारी है, केंद्र में सत्ता की दूसरी पारी में वह रक्षा मंत्रालय जैसा अहम विभाग संभाल रहे हैं, जबकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्रालय का जिम्मेदारी निभाई थी।उनके जन्मदिन के मौके पर बताते हैं एक ऐसा किस्सा जिसे कम ही लोग जानते होंगे।
इमरजेंसी वह दौर था जब नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा था। नेता बड़ा हो या छोटा, सरकार का विरोध करने पर उसका ठिकाना जेल बन जाता था। उस समय राजनाथ सिंह की उम्र मात्र 24 साल थी। विरोध प्रदर्शनों के चलते उन्हें भी जेल में बंद कर दिया गया। यहां उनकी पहचान जनसंघी दौर के नेता रामप्रकाश गुप्त से हुई। उन्हें ज्योतिष विद्या का शौक था, लिहाजा बातों ही बातों में वह 24 साल के लड़के के हाथ की रेखाएं देखने लगे। हाथ की रेखाएं देखने के बाद रामप्रकाश गुप्त ने कहा कि एक दिन तुम बहुत बड़े नेता बनोगे, मसखरी अंदाज में राजनाथ सिंह ने भी पूछ लिया कि कितने बड़े गुप्ता जी….इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री।
रामप्रकाश गुप्त की बात सुनकर राजनाथ सिंह ठहाका लगाकर हंस पड़े थे। लेकिन उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित होगी, इसका अंदाजा भी किसी को नहीं था। दो दशक से ज्यादा समय के बाद कुछ ऐसे राजनीतिक समीकरण बनें कि राजनाथ सिंह 28 अक्टूबर 2000 में सूबे के 20वें मुख्यमंत्री बनें। मजे की बात य़ह है कि राजनाथ सिंह से पहले राज्य की कमान उन्हीं राम प्रकाश गुप्त के हाथ में थी, जिन्होंने कभी सिंह के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा की थी।
बाबरी मस्जिद की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण तेजी से बदले, कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1993 में चुनाव कराए गए तो सपा-बसपा गठबंधन को 213 सीटें मिली जबकि बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से काफी कम 177 मिली। खुद राजनाथ सिंह मोहाना सीट से हार गए। लेकिन राजनाथ सिंह ने हार नहीं मानी 2 साल के अंदर राज्यसभा की सीट हासिल कर ली।
1999 में एक बार फिर पार्टी का सियासी संतुलन बिगड़ने लगा। चुनावों में मिली हार के चलते कल्याण सिंह की ताकत कम होने लगी। राजनाथ सिंह, अटल बिहारी बाजपेयी के करीबी थे लेकिन इतने नहीं कि उनकी ताजपोशी कर दी जाए। इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी ने राम प्रकाश गुप्ता को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने 11 महीनों तक सरकार चलाई लेकिन पार्टी नेतृत्व को लगा कि प्रदेश में किसी युवा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, बस यही से राजनाथ सिंह का रास्ता साफ हुआ और 20 अक्टूबर साल 2000 को उन्होंने 20वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।