राजीव जैन
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा का हाल बेहाल है। इन स्कूलों में कंप्यूटर विषय के शिक्षकों के नहीं होने से विद्यार्थियों का कंप्यूटर पर काम करना तो दूर चलाना भी नहीं आता। जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार अपने तंत्र को पूरी तरह से डिजिटल करने में जुटी है वहीं प्रदेश के युवाओं को प्राथमिक स्तर पर इसका ज्ञान ही नहीं मिल रहा। देश में जहां कंप्यूटर शिक्षा आज के विद्यार्थियों के लिए जरूरी है वहीं प्रदेश के 14 हजार 147 सरकारी सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में एक भी स्थायी कंप्यूटर शिक्षक तैनात नहीं है।
कंप्यूटर के स्थायी शिक्षक नहीं होने के बावजूद सरकारी स्कूलों में इस विषय को अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाया जा रहा है। यही नहीं छात्रों का इसमें मूल्यांकन होने के साथ उसका परिणाम भी जारी किया जा रहा है। पांच साल में सरकार ने इन स्कूलों की कंप्यूटर शिक्षा की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया है। यही नहीं प्रदेश के आधे से ज्यादा सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में कंप्यूटर ही नहीं है और जहां है वहां धूल फांक रहे हैं। प्रदेश के 10 हजार स्कूलों में कंप्यूटर लैब तो है पर इनपर शिक्षक का पद मंजूर ही नहीं हुआ है।
प्रदेश में 2014 तक तो स्कूलों में अस्थायी तौर पर कंप्यूटर शिक्षकों की तैनाती थी। लेकिन पिछले साल ही सरकार ने संविदा पर लगे इन शिक्षकों को हटा दिया था। प्रदेश में 25 हजार कंप्यूटर शिक्षक बेरोजगार हैं और सरकारी भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश के 14 हजार 147 स्कूलों में से 8 हजार 500 में आइसीटी फेज छह के तहत कंप्यूटर लैब स्थापित किया गया था। केंद्र सरकार की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी योजना के तहत स्कूलों में कंप्यूटर प्रयोगशालाएं तो स्थापित हो गर्इं पर शिक्षकों के अभाव में यह सजावटी बनकर रह गईं हैं। इनमें 75 फीसद राशि केंद्र और 25 फीसद राशि राज्य सरकार देती है। इसके अलावा राज्य बजट से 1172 स्कूलों में भी क्लिक योजना के तहत कंप्यूटर लैब बनाया गया है।
प्रदेश के कई स्कूलों में दूसरे विषय के शिक्षकों को कंप्यूटर विषय पढ़ाने के काम में लगा दिया गया है। ऐसे शिक्षकों की बदौलत कक्षा नौ और दसवीं के विद्यार्थियों को बाकायदा फाउंडेशन आफ इनफोरमेशन टेक्नोलोजी के विषय का मूल्यांकन किया जा रहा है। राजस्थान कंप्यूटर शिक्षक संघ के महासचिव मुकुल आचार्य का कहना है कि प्रदेश के स्कूलों में 2014 तक बीसीए, एमसीए, पीजीडीसीए, बीटेक, एमटेक जैसी योग्यता रखने वाले शिक्षक अस्थायी तौर पर विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे।
पर उस समय की सरकार ने एक ही आदेश के तहत इन अस्थायी शिक्षकों को चलता कर दिया। कंप्यूटर की गुणवत्ता युक्त शिक्षा छात्रों को दिया जाना जरूरी है। कंप्यूटर शिक्षा के शिक्षकों की नियमित भर्ती की मांग लंबे अरसे से की जा रही है। मुकुल आचार्य का कहना है कि सरकार ने क्लिक नाम की एक योजना बनाई थी। यह योजना फेल हो गई है। इन स्कूलों में गरीब तबके के विद्यार्थी ही अध्ययन करते है लिहाजा सरकार को अब इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए।
प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि नई सरकार सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की कंप्यूटर शिक्षा पर पूरा ध्यान देगी। सरकार का प्रयास है कि हिंदी माध्यम के स्कूलों में भी कंप्यूटर शिक्षक लगाए जाएं। इसके लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को भिजवा दिया गया है। मंजूरी मिलते ही शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस शिक्षा को उच्च गुणवत्ता वाला बनाया जाएगा। कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने वाले सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।