आमतौर पर माना जाता है कि राजनीति में कुछ लोगों को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं। पूर्व में शाही परिवारों से संबंध रखने वाले लोग भी इस श्रेणी में आते हैं। शायद यही कारण है कि राजस्थान में शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली बीकानेर ईस्ट से भाजपा विधायक सिद्धि कुमारी इस सीट पर अभी तक भाजपा का चेहरा बनी हुई हैं। खास बात यह कि विधानसभा में उनकी हाजिरी से ज्यादा गैर हाजरी दर्ज है, फिर भी पार्टी उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है। सदन में मौजूद रहने के मामले में उनका रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। हाल में आई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से अबतक 139 बार विधानसभा में कामकाज हुआ, जिसमें कुमारी की महज 18 बार उपस्थिति दर्ज हो सकी। चौंकाने वाली बात यह है कि 18 बार सदन में पहुंची भाजपा विधायक ने महज 11 बार अपनी बात रखी या सवाल पूछे।

भाजपा विधायक सिर्फ सदन से ही नदारद नहीं रहीं बल्कि अपने विधानसभा क्षेत्र में भी बहुत कम नजर आईं। इस मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह लंबे समय से चल रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है खुद के विधानसभा क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रम में भी विधायक लंबे समय से नजर नहीं आईं। एक कार्यकर्ता ने बताया, ‘बहुत कम होता है जब वो किसी निमंत्रण में पहुंचती हैं।’ अपने क्षेत्र में कम मौजूदगी के बाद भी भाजपा विधायक बीजापुर ईस्ट में लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि साहित्य में एमए कुमारी इस बार भी बीकानेर ईस्ट से भाजपा की उम्मीदवार हो सकती हैं। पूर्व में शाही परिवार से संबंध होने के नाते उनके पास लोगों का प्रर्याप्त समर्थन है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि वो एक गैर विवादित नेता हैं।

बता दें कि साल 1973 में जन्मी सिद्धि कुमारी ने पहली बार विधानसभा चुनाव साल 2008 में लड़ा। उनके दादा कणनी सिंह पूर्व में बीकानेर के शासक धे, जो बीकानेर से पांच बार निर्दलीय विधायक रहे। इसके अलावा वह उन शाही परिवारों में से एक थे जिन्होंने सबसे पहले राजनीति में कदम रखा।