जयपुर की गांव करेरी की रहने वाली रूपा यादव की कहानी बिल्कुल फिल्मों जैसी लगती है। तमाम संघर्ष और संसाधनों की कमी के बावजूद रूपा ने वो कर के दिखा दिया जो कई सुविधा संपन्न लोग नहीं कर पाते। रूपा की शादी के 12 साल बाद मेडिकल की पढ़ाई करने जा रही है। उस पर भी खास बात ये कि वो बालिक वधु हैं। रूपा की सादी 8 साल की उम्र में कर दी गई थी उस समय उनके पति की की उम्र उस समय 12 साल थी । उस समय रुपा सिर्फ तीसरी कक्षा में पढती थी। इसके बाद 15 साल की उम्र में जब वो दसवीं के एग्जाम दे रहीं थी तब उनके गौना हुआ। दसवीं के परिणाम में रूपा ने 84 फीसदी अंक दर्ज किए। रूपा इसके आगे पढ़ना चाहती थी और उन्हें उनके ससुराल खासकर उनके पति से खूब सहयोग में मिला। आगे की पढ़ाई के लिए उनका दाखिला एक प्राइवेट स्कूल में करा दिया। वहीं इसी दौरान उनके एक चाचा की मौत इलाज के अभाव में हो गई जिसके बाद रूपा ने ठान ली डॉक्टर बनने की।
रुपा बेहद साधारण परिवार से है। रुपा के पढ़ाई खर्चा पूरा करने के लिए पति दिन में खेत में काम किया। बाद में रुपा का दाखिला एक कोचिंग संस्थान में करा दिया। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पति खेती करने के साथ साथ टेम्पो भी चलाया। लेकिन इसके बाद भी जब फीस पूरी जमा नहीं हो पाई तो कोचिंग को इसके बारे में बताया गया रूपा की लगन को देखते हुए कोचिंग ने 75 प्रतिशत फीस माफ कर दी। इस बार के सीपीएमटी के रिजल्ट में रुपा ने 603 अंक प्राप्त किए। नीट रैंक 2283 है। कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि हम रूपा और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करते हैं। वो हम सबके लिए मिसाल है। उसे एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान चार साल तक संस्थान की ओर से मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी। ताकी जल्द ही रुपा डॉक्टर बन सके।
