प्रदेश में लोगों की समस्याओं में कोई कमी नहीं आ रही है। प्रशासन के उनकी सुनवाई नहीं करने की पोल यहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जनसुनवाई में खुल गई। राजे ने यहां जयपुर संभाग के चार जिलों के लोगों की समस्याओं की खुले तौर पर सुनवाई की तो साफ हो गया कि नौकरशाही पूरी तरह से लापरवाह बन गई है। मुख्यमंत्री को अपनी पीड़ा बताने के लिए इन जिलों से दो हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जमा हो गई और समाधान की उम्मीद के साथ लौटी। मुख्यमंत्री निवास पर ढाई घंटे के इंतजार के बाद जब वसुंधरा राजे जनसुनवाई करने पहुंची तो फरियादियों में समस्या और पीड़ा सुनाने की होड़ मच गई।
प्रदेश में भाजपा सरकार के ढाई साल के शासन के बाद भी आम आदमी की समस्याएं अभी तक ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। मुख्यमंत्री कई बार अपने मंत्रियों और अधिकारियों को लोगों की समस्याओं को सुन कर उनके समाधान के निर्देश देती रही हैं। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में आकर अपनी परिवेदना देना ही जता गया कि प्रशासन तंत्र किस तरह से काम के प्रति लापरवाही बरत रहा है। सरकार का कहना है कि जनसुनवाई में दो हजार लोग आए और मुख्यमंत्री को करीब 900 ज्ञापन दिए गए। इन सभी को संबंधित जिलों के प्रशासन के पास भेजा गया है। इन समस्याओं के समाधान के निर्देश जिला कलेक्टरों को दिए गए हैं। इसमें जयपुर संभाग के जयपुर, अलवर,दौसा, झुंझनूं और सीकर जिलों से लोग अपनी अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री के सामने आए और समस्या दूर करने की गुहार लगाई।
जनसुनवाई में सबसे ज्यादा पुलिस, राजस्व, बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क जैसी समस्याओं की शिकायतें आई। इनमें बेरोजगारों की भी बड़ी संख्या थी जिन्होंने रोजगार को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई कारगर कदम नहीं उठाने पर मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी भी जताई। मुख्यमंत्री ने कई समस्याओं पर मौके पर ही अफसरों को वस्तुस्थिति से अवगत कराने का निर्देश भी दिया। मुख्यमंत्री ने छात्रवृत्ति जैसे प्रकरणों में अफसरों की ढिलाई बरतने पर अपनी नाराजगी भी जताई। झुंझनूं जिले की एक बालिका ने उसे छात्रवृत्ति नहीं मिलने की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने फौरन कार्रवाई कर उसे राहत देने का निर्देश दिया। इसी तरह से अलवर जिले के एक व्यक्ति को पालनहार योजना का लाभ मौके पर दिलाया गया। इसके बावजूद बड़ी तादाद में लोगों की समस्याओं से जुड़े प्रार्थना पत्रों को अफसरों ने कार्रवाई के लिए अपने पास रख लिया।
वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल में लोगों की जनसुनवाई का यह पहला आयोजन रखा था। इससे पहले उन्होंने हर शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं की भी जनसुनवाई की थी। प्रदेश भाजपा कार्यालय में भी मंत्रियों की नियमित सुनवाई का कार्यक्रम होता है। इसमें भी सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता अपनी समस्याएं लेकर जाते हंै। प्रदेश भाजपा कार्यालय की सुनवाई को लेकर कार्यकर्ताओं में ही नाराजगी पनपी हुई है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी समस्याओं को लेकर मंत्रियों ने गंभीरता से काम नहीं किया है।
प्रदेश भाजपा के कार्यकर्ताओं में मंत्रियों की कार्यशैली की ढेरों शिकायतें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंची है।

