राजस्थान के पाली जिले के बाली थाना क्षेत्र में 15 मार्च को जितेंद्रपाल नाम के दलित युवक की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। घटना की शुरुआत में कहा गया कि गांव के कुछ दबंग दलित युवक की मूछों को और उसके रहन-सहन को पसंद नहीं करते थे और इस कारण उन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया। हालांकि अब राजस्थान पुलिस ने घटना का खुलासा करते हुए दावा किया है कि हत्या मूछों की वजह से नहीं बल्कि पुरानी रंजिश की वजह से हुई है।

एसएचओ देवेंद्र सिंह ने बताया कि, “2020 में जितेंद्र द्वारा दोनों आरोपियों के खिलाफ एससी / एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया था और पुलिस ने उस मामले में एक कमलेश सहित तीन आरोपियों को चार्जशीट किया था। उस समय जितेंद्र अपने घर के बाहर बैठे थे, तभी उनके और तीनों आरोपियों के बीच कहासुनी हो गई। उसके बाद आरोपी लड़के सूरत में रहने लगे और समझौता करने की कोशिश करने लगे। लेकिन जितेंद्र ने मना कर दिया। उसके मना करने पर वे सूरत से आए और 15 मार्च को वारदात को अंजाम दिया और मोटरसाइकिल से बाड़मेर भाग गए।”

घटना को लेकर जितेंद्र पाल के भाई ओमप्रकाश ने बताया कि जितेंद्र के साथ उस दिन उनके साथी हरीश कुमार भी थे। ओमप्रकाश ने बताया कि जब जितेंद्र हॉस्पिटल में थे उस दौरान उन्होंने घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, “दोनों हत्यारे सूरज सिंह और रमेश सिंह मोटरसाइकिल पर थे और हमारा पीछा कर रहे थे। जबकि रमेश बाइक चला रहे थे। सूरज के दोनों हाथों में धारदार हथियार थे और उसने पीछे से मेरे गले पर और हाथों पर प्रहार किया। इस दौरान हरीश और मैं जमीन पर गिर गए और फिर रमेश ने मेरे जबड़े ,गले और कंधों पर प्रहार किया। जब वे मुझे मार रहे थे तो जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर रहे थे। मुझसे कह रहे थे कि कंप्रोमाइज कर लो, नहीं तो हम तुम्हारे परिवार में किसी को नहीं छोड़ेंगे। जब उन्हें लगा कि हम मर गए हैं तब वह हथियार को छोड़कर भाग गए।”

पाली जिले में बाली थाने के एसएचओ देवेंद्र सिंह ने कहा कि, ”यह 15 मार्च की दोपहर 3:45 से शाम 4:00 बजे के बीच हुआ। जितेंद्रपाल मेघवाल सीएचसी बाली में अनुबंध के आधार पर काम करते थे और ड्यूटी के बाद वह अपने गांव जा रहे थे। उसी दौरान दो लोगों ने उनका पीछा किया और सड़क पर उन्हें रोक दिया और उन्हें मार डाला।”

आईपीसी की धारा 302 (Murder), 34 (कई व्यक्तियों द्वारा सामान्य इरादे से किए गए कार्य), एससी/एसटी अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। ओम प्रकाश ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि आरोपी और उनके परिवार ने अक्सर हमें धमकाया और समझौता करने के लिए दबाव डाला। सूरज के पिता बाबू सिंह ने मेरे भाई को जान से मारने की धमकी भी दी थी।