राजस्थान में धौलपुर विधानसभा उपचुनाव की हार के बाद कांग्रेस अब नए सिरे से अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस का कहना है कि धौलपुर में सरकार ने अपने सारे हथकंडे अपना कर चुनाव जीता है। कांग्रेस का यह भी कहना है कि उसकी भाजपा से नहीं बल्कि सरकार से हार हुई है।  राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक डेढ़ साल पहले हुए धौलपुर उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दावं पर लगी हुई थी। यह उपचुनाव सत्ताधारी भाजपा ने 38 हजार से ज्यादा के अंतर से जीता था। इसकी हार के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अगले चुनाव के लिए अब अपनी रणनीति बनाने की तैयारी में लग गई है। उपचुनाव की हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष पायलट ने इसे गंभीरता से लिया है। उपचुनाव में उन्होंने अपनी युवा टीम को प्रचार में लगा दिया था। कांग्रेस उम्मीदवार जरूर बुजुर्ग पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा थे। शर्मा इस इलाके से पांच बार विधायक भी रहे हैं। उपचुनाव को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। राजे इस उपचुनाव में लगातार धौलपुर में ही रहीं। उन्होंने इलाके के दो प्रमुख समाजों के नेताओं को सरकार में राज्यमंत्री का ओहदा भी दिया था। भाजपा इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती थी। धौलपुर हमेशा से ही भाजपा के लिए कमजोर सीट रही थी।

मुख्यमंत्री राजे का गृह नगर होने के कारण भी भाजपा ने अपनी पूरी ताकत जीत के लिए लगा दी थी। इसी के चलते सचिन पायलट ने आरोप भी लगाया कि अगर धौलपुर में भाजपा हार जाती तो मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती। भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर धौलपुर उपचुनाव जीता है। इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि अब पूरी ताकत से संगठन अगले चुनाव के लिए जुट गया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी संगठन अब जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लग गई है। इसके लिए आलाकमान के निर्देशों पर जनता में मजबूत पकड़ वाले नेताओं को मैदान में उतारने का फैसला किया गया है। प्रदेश कांग्रेस ने अपने अग्रिम संगठनों को निचले स्तर पर जनता से जुडेÞ मसलों पर संघर्ष का रास्ता अपनाने को कहा है। इसके तहत ही जयपुर शहर में जिला कांग्रेस ने खराब सड़कों को लेकर प्रदर्शन और धरने भी शुरू कर दिए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पायलट का कहना है कि जनता भाजपा सरकार की कार्यशैली से खासी परेशान है। प्रदेश में जनहित के कोई काम नहीं हो रहे हैं। प्रदेश में विकास की गति थम गई है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है और अपराधों में बेतहाशा बढ़ोतरी होने से आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। दलितों और महिलाओं के प्रति अत्याचार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। नाबालिग बालिकाओं से बलात्कार के कई मामले होने से भी जनता में असुरक्षा की भावना पनप रही है। जनता की नाराजगी को देखते हुए ही कांग्रेस अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी। कांग्रेस ने तय किया है कि सरकार के खिलाफ बने माहौल को भुनाने के लिए ही संगठन के स्तर पर संघर्ष का रास्ता अपनाया जाए। कांग्रेस अब अपने युवा नेताओं को सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने का निर्देश देगी। उसका मानना है कि जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेर कर ही अगले चुनाव की भूमिका तैयार की जाए।