राजस्थान के बाड़मेर में पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जिन्होंने भारत के सबसे बड़े तटवर्ती ऑयल फील्ड से 5 करोड़ लीटर कच्चे तेल की चोरी की थी। ये चोरी कैयर्न इंडिया ऑयलफील्ड में हुई है। इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस महकमा और कंपनी के सुरक्षा अधिकारी हैरान हैं। कंपनी के अधिकारी इस बात की जांच में लगे हैं कि आखिर इतने लंबे समय तक बिना किसी बाधा के ये घटना कैसे अनवरत चलती रही। इस मामले में राजस्थान पुलिस ने इस सप्ताह 25 लोगों को गिरफ्तार कर इस हाई प्रोफाइल स्मगलिंग नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी के मुताबिक ब्रिटेन की विशाल माइनिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज की सब्सिडरी कंपनी द्वारा संचालित इस ऑयलफील्ड से लगभग 49 करोड़ रुपये के तेल की चोरी हुई है। स्मगलिंग के इस नेटवर्क में तेल टैंकर के ड्राइवर, ठेकेदार, वर्कर समेत ऑयल फील्ड साइट पर काम करने वाले कई लोग शामिल हैं। बाड़मेर के पुलिस अधिकारी गगनदीप सिंगला ने बताया कि पुलिस को इस मामले में अभी भी लगभग 75 लोगों की तलाश है। पुलिस का कहना है कि ये लोग तेल सप्लाई के काम में आने वाली टैंकर तेल भर के ले जाते थे। सुरक्षा अधिकारियों को चकमा देने के लिए ये ड्राइवर टैंकर में लगे जीपीएस का कनेक्शन ही बंद कर देते थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी के अधिकारियों को सालों बाद लगा कि तेल की मात्रा में कमी पाई जा रही है। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने अपने जांच में पाया कि इस खेल में एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा था। पुलिस के मुताबिक टैंकर ड्राइवर ऑयल फील्ड से बाय प्रोडक्ट के रुप में निकलने वाले पानी को बाहर ले जाने के लिए अधिकृत थे। लेकिन ये ड्राइवर पानी की आड़ में टैंकरों में कच्चा तेल भरकर बाहर ले जा रहे थे। पुलिस ने जांच के दौरान अबतक 30 ट्रक को सीज किया और इसकी संख्या बढ़ने की संभावना है। बता दें कि चोरी का तेल आस पास के ही छोटी छोटी फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता था। ये कंपनियां अंडरग्राउंड टैंक में कच्चे तेल को जमा करती थीं और बाद में देश भर में बेचती थीं। इस कच्चे तेल का इस्तेमाल सड़क बनाने में और डीजल निकालने में किया जाता था।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मथुरा से भी सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी से 100 करोड़ रुपये के तेल की चोरी की गई थी। बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 82 प्रतिशत कच्चा तेल दूसरे देशों से आयात करता है।