Rajasthan News: राजस्थान के जैसलमेर से एक अजीबो-गरीब खबर सामने आई है। यहां वैज्ञानिकों को रिसर्च में रेतीली धरती से 201 मिलियन यानी 20 करोड़ से भी ज्यादा साल पुराने जीवाश्वम मिले हैं, जिसको लेकर वैज्ञानिको ने जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि ये जीवाश्वम डायनासोर के हैं।
दरअसल, जैसलमेर के मेघा गांव में मिला जीवाश्म डायनासोर का नहीं बल्कि, फाइटोसॉर का है। यह भारत के लिए बेहद रोमांचक खोज मानी जा रही है। खास बात यह है कि देश में इतनी अच्छी तरह जीवाश्म मिला है। 2023 में बिहार-मध्यप्रदेश की सीमा पर फाइटोसॉर की एक किस्म का जीवाश्म मिला था।
जीवाश्म को लेकर क्या बोले वैज्ञानिक?
इस जीवाश्म को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसलमेर का यह जीवाश्म भारत में पहला पक्का और संरक्षित फाइटोसॉर जीवाश्म है, जो यह दर्शाता है कि करोड़ों वर्ष पहले थार मरुस्थल का यह क्षेत्र जलीय जीवन से भरपूर रहा होगा।
पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संकाय के डीन और भूविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. वीएस परिहार कहते हैं कि यह एक मगरमच्छ है जो डायनासोर के साथ रहता था और यह ज्यादातर नदी या समुद्र के किनारे के जंगलों में रहता था… इंग्लैंड के बाद केवल भारत में ही जुरासिक युग की ऐसी खोज हुई है।
‘भारत में ही हुई जुरासिक युग की खोज’
पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संकाय के डीन और भूविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. वीएस परिहार ने ANI से बात करते हुए कहते हैं कि यह एक मगरमच्छ है जो डायनासोर के साथ रहता था और यह ज्यादातर नदी या समुद्र के किनारे के जंगलों में रहता था। इंग्लैंड के बाद केवल भारत में ही जुरासिक युग की ऐसी खोज हुई है।
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दूसरी ओर वरिष्ठ भूविज्ञानी डॉ. नारायण दास कहते हैं कि अवलोकन के बाद पता चला कि यह जुरासिक युग का एक जीव है, और यह एक जीवाश्म है। ऐसे जीव की खोज न केवल जैसलमेर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। ऐसे जीवाश्म मानव विकास के बारे में बहुत सी जानकारी प्रदान करते हैं।
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क्यों खास है जैसलमेर?
बता दें कि खोज जैसलमेर की पांचवीं जीवाश्म खोज है। इसीलिए इसे सही मायनों में ‘भारत का जुरासिक पार्क’ कहा जा सकता है। इसको लेकर वैज्ञानिक डॉ. इनाखिया ने आगे कहा कि जैसलमेर में जियो-टूरिज़्म की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर जड़ (रूट) जीवाश्म, समुद्री जीवाश्म और डायनासोर जीवाश्म हैं, जिन्हें सुरक्षित और संरक्षित कर वैज्ञानिक अध्ययन के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा तानोट क्षेत्र में पाई जाने वाली भूमिगत सरस्वती नदी की धाराएं भी भूगर्भीय दृष्टि से बहुत रोचक हैं. ये 5-6 हजार साल पुरानी वेदकालीन हैं, जबकि जैसलमेर के जीवाश्म 180 मिलियन साल पुराने हैं।
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