राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए लेकिन सरकार पर गुर्जरों ने पांच फीसदी आरक्षण के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। गुर्जर समुदाय का कहना है कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले सरकार पांच फीसदी आरक्षण की उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो चुनाव में कांग्रेस को समर्थन नहीं देंगे। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गुर्जर समुदाय, रायका, बंजारा और गाड़िया लोहार जैसे समुदायों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की बात कही थी। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक किरोड़ी सिंह बैंसला ने सोमवार (31 दिसंबर) को कहा, ”कांग्रेस ने हमें पांच फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन हम कह चुके हैं कि यह लोकसभा चुनाव से पहले मिलना चाहिए।” वर्तमान में राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत गुर्जर समुदाय के 21 फीसदी आरक्षण का हकदार है। इसी के साथ 1 फीसदी कोटा मोस्ट बैकवर्ड क्लासेज (एमबीसी) कैटेगरी के तहत है।
”संगठन के महासचिव शैलेन्द्र सिंह ने कहा, ”अतीत में बार-बार हमें 5 फीसदी आरक्षण देने के प्रयास विफल रहे हैं क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा आरक्षण की सीमा को लागू करने वाले कानूनों को अदालतों ने रोक दिया है।” समुदाय अब मांग कर रहा है कि 50 फीसदी की सीमा के भीतर 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाए। सिंह ने कहा, ”कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सामुदायिक नेताओं के साथ हमारी हालिया बैठक में, हमने महसूस किया कि ओबीसी के उप-वर्गीकरण के माध्यम से 5 फीसदी आरक्षण प्राप्त करने का एकमात्र तरीका 50 फीसदी की सीमा के भीतर होगा। गुर्जर समुदाय ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया और वोट दिया, लेकिन अगर वह लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण नहीं देती है, तो हम उसका समर्थन नहीं करेंगे। हम विरोध प्रदर्शन करेंगे।”
अक्टूबर 2017 में, राज्य सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण और राज्य सरकार की नौकरियां और पद ) विधेयक पारित किया था। प्रस्तावित कानून ने 5 प्रतिशत आरक्षण की पेशकश की। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में विधेयक पर स्टे लगा दिया था, जिसने सरकार को एमबीसी कैटेगरी के तहत 1 फीसद आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा, जिससे राज्य में कुल आरक्षण सीमा 50 फीसदी हो गई।