राजस्थान में आगामी एक नवंबर से गुर्जर आंदोलन फिर से शुरू हो रहा है। आंदोलन के चलते किसी भी तरह के बवाल को रोकने के लिए राज्य सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल सरकार ने राज्य के 7 जिलों में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA- रासुका) लागू कर दिया है। जिन जिलों में एनएसए लागू किया गया है, उनमें भरतपुर, धोलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी और झालावाड़ जिले शामिल हैं।
इतना ही नहीं सरकार ने एहतियातन करौली, भरतपुर, जयपुर और सवाई माधोपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। साथ ही इन जिलों में अतिरिक्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। वहीं गुर्जर आंदोलन की अगुवाई कर रहे और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता विजय बैंसला का कहना है कि एक नवंबर से उनका आंदोलन पिलुपुरा से शुरू होगा। बैंसला का आरोप है कि सरकार ने बीते दो सालों से उनकी मांगों को अनसुना कर रही है, जिसके चलते अब उनके पास आंदोलन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
गुर्जर समाज की मुख्य मांग है कि राजस्थान सरकार गुर्जर आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे। इसके अलावा बैकलॉग वैकेंसी को भरे और MBC (Most Backward Classes) को आगामी रिक्रूटमेंट प्रक्रिया में 5 फीसदी का लाभ दे।
बीती 17 अक्टूबर को बयाना में गुर्जर समाज की महापंचायत हुई थी, जिसमें एक नवंबर तक उनकी मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम दिया गया था।
वहीं राज्य सरकार आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में दिखाई दे रही है। राज्य सरकार ने गुर्जर आंदोलन को हाईकोर्ट के फैसले और कोरोना गाइडलाइन के विपरीत बताया है। प्रदेश के सात जिलों में रासुका लगाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है और अधिसूचना की तिथि से आगामी 3 माह तक आदेश प्रभावी रहेगा। आंदोलन को लेकर रोडवेज प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है और स्थिति को देखते हुए ही बसों का विभिन्न रूट्स पर संचालन होगा।