राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट से मंगलवार (14 जुलाई, 2020) को सचिन पायलट और उनके प्रति दो वफादार मंत्रियों की बर्खास्तगी के बाद प्रदेश में एक और लड़ाई का मंच तैयार हो गया है। जिसमें एक लंबी कानूनी लड़ाई और तकनीकी लड़ाई के संकेत भी हैं। इसमें कांग्रेस ने जितना संकेत दिया है उसके मुताबिक बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग करते हुए स्पीकर सीपी जोशी के पास याचिका दायर करने की प्रक्रिया चल रही है। इसका पहला संकेत खुद सीएम गहलोत ने दिया। सूत्रों के मुताबिक दो दिनों से गहन कानूनी सलाह ली जा रही है ताकि अयोग्यता की लड़ाई को अंतिम रूप दिया जा सके।

सूत्रों ने बताया कि गहलोत और एआईसीसी पर्यवेक्षकों अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला ने अभिषेक सिंघवी, पार्टी नेता और वकीलों के साथ कई दौर की चर्चा की, ताकि कानूनी लड़ाई की योजना का खाका तैयार किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल की बैठक में गैर मौजूदगी और बीजेपी के साथ ‘नजदीकियां बढ़ाना’ अयोग्यता की लड़ाई का आधार होगा।

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बताया गया है कि साथ ही ‘अयोग्यता की धमकी’ सचिन पायलट खेमे से कुछ विधायकों को वापस लाने का प्रयास भी हो सकता है। शायद यही कारण है कि कांग्रेस यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि क्या उसने याचिका को स्थानांतरित कर दिया है।

राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि पार्टी विधायक मुख्यमंत्री में विश्वास की कमी व्यक्त कर सकते हैं और केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में विधायक दल की बैठक में उन्हें हटाने की मांग कर सकते हैं। लेकिन अगर वो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग करते हैं, तो वो अयोग्य ठहराए जा सकते हैं क्योंकि यह भाजपा की मदद से सरकार को गिराने का इरादा दिखाता है।

सूत्रों ने बताया कि अयोग्यता याचिका का ड्राफ्ट मंगलवार सुबह पढ़ा गया, जिसे मुख्य सचेतक महेश जोशी को सौंप दिया गया है।

एक केंद्रीय नेता ने कहा कि इसे पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया है। इधर जोशी ने कहा कि वह इस बात का खुलासा नहीं कर सकते कि इसे कितने विधायकों के खिलाफ स्थानांतरित किया गया है या नहीं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि मैं अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। मैं आपको कल ही बता सकता हूं।