राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण की जांच करने वालों पर शिकंजा कस दिया है। क ोख में बेटी को मार डालने वालों पर सख्ती का ही असर है कि राजस्थान अब दूसरे प्रदेशों को भी इसकी राह दिखा रहा है। भू्रण लिंग कानून में ठोस कार्रवाई करके राजस्थान ने रेकार्ड बनाया है। प्रदेश में अब तक 134 डिकोय आॅपरेशन कर भ्रूण लिंग जांच करने वाले डॉक्टरों के साथ ही कई लोगों की धरपकड़ की है। प्रदेश के पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ ने अपनी कार्रवाई राजस्थान में ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रदेशों तक की हैं। इस सेल ने अपना 134 वां डिकोय आॅपरेशन तो पंजाब के मोगा जिले में हाल में किया। इस कार्रवाई में एक डॉक्टर और उसके साथ दो दलालों को भी गिरफ्तार किया गया। डिकोय कार्रवाई में विभाग के हत्थे कई महिला दलाल भी लगीं जो कोख में ही भ्रूण हत्या के धंधे में लगी हैं।

कोख में ही लिंग परीक्षण करने वालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की पीसीपीएनडीटी टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। इस धंधे में डॉक्टरों के साथ ही उनके कई दलाल लगे हुए हैं। इनमें से कई तो पकड़े जाने के बाद जेल से छूट कर वापस आने पर इसी धंधे में लग जाते हैं। प्रदेश में घटते लिंगानुपात को रोकने के लिए सक्रिय सामाजिक संगठन भी अब सरकार से लिंग परीक्षण को रोकने के लिए कठोर कानून की वकालात करने लगे है। कोख में हत्या के गुनाहागारों को सख्त सजा नहीं दिए जाने का नतीजा है कि राजस्थान में लड़कों और लड़कियों का लिंगानुपात गड़बड़ा गया है। इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों के तहत अवैध लिंग परीक्षण करने वालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीमें प्रदेश में लगातार कार्रवाई भी कर रही हैं। राजस्थान में भ्रूण लिंग परीक्षण के कारोबार का जिस ढंग से खुलासा हो रहा है उससे लगता है कि यह बड़े पैमाने पर हो रहा है। बेटे की चाहत में ग्रामीण इलाकों में लिंग परीक्षण के लिए सोनोग्राफी मशाीनों को बेजा इस्तेमाल बेरोकटोक होने लगा है। इस पर लगाम लगाने में सरकार को अब सफलता मिलने लगी है। इसके तहत हाल में हनुमानगढ़ जिले की पीसीपीएनडीटी टीम ने कार्रवाई करते हुए पंजाब के मोगा जिले के एक डॉक्टर और उसके दो दलाल व एक महिला कर्मचारी कों गिरफ्तार भी किया है।

स्वास्थ्य विभाग के एनआरएचएम निदेशक नवीन जैन ने डिकोय आॅपरेशन के बारे में कहा कि प्रदेश में ही नहीं सीमावर्ती राज्यों में भी उनकी टीम ने कार्रवाई करते हुए इस अवैध धंधे में लगे डॉक्टरों की धरपकड़ की है। पंजाब के मोगा की कार्रवाई के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें हनुमानगढ जिले और आसपास के क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के भ्रूण लिंग की जांच के लिए पंजाब ले जाए जाने की लगातार सूचना मिल रही थी। इसके बाद ही डिकोय टीम तैयार कर इस अवैध काम करते हुए डॉक्टर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। जैन ने बताया कि प्रदेश में इस तरह की धरपकड़ के लिए पहली बार मुखबिर योजना के तहत काम किया जा रहा है। मुखबिरों के जरिये ही लिंग परीक्षण करने वाले केंद्रों और डॉक्टरों की पहचान कर उनकी धरपकड़ की जा रही है। जैन का कहना है कि कानूनी शिकंजे के साथ ही लोगों में जागरूकता की भी बड़ी जरूरत है। इस काम में सामाजिक संगठनों को लोगों को जागरूक करना होगा। प्रदेश में दो साल पहले एक हजार लड़कों पर 888 लड़कियों का अनुपात था। विभाग की इस तरह की कार्रवाई और जनता में जागरूकता का नतीजा है कि अब यह एक हजार लडकों पर 900 लड़कियों के अनुपात तक पहुंच गया है। इसे बराबरी पर लाना ही एक चुनौती बना हुआ है।

लिंगानुपात को बराबरी पर लाने की मुहिम में जुटीं सामाजिक कार्यकर्ता दीपा माथुर का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद स्थिति बहुत नहीं सुधर रही है। इसके लिए सरकार के साथ ही गैर सरकारी संगठनों को मजबूती से जागरूकता का अभियान चलाना होगा। माथुर का कहना है कि बेटा-बेटी एक समान की सोच को बढावा देने के लिए एक अकेले भ्रूण लिंग जांच के अभियान से सफलता नहीं मिल सकती। इसके लिए शिक्षा, महिला बाल विकास और अन्य विभागों को साझा प्रयास करने होंगे। ग्रामीण इलाकों में लोगों की सोच बदलने के साथ ही महिलाओं को शिक्षित करने का भी बड अभियान चलना चाहिए। इसके लिए सरकार को बड़े पैमाने पर पंचायतों के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से काम करना होगा। प्रदेश में 2016 में जीवित शिशु दर का आंकड़ा 943 था। इससे पहले 2010 में यह 887 था। इसके उलट 0 से 6 साल के शिशुओं के आंकड़े के हिसाब से लिंगानुपात अभी एक हजार लड़कियों पर 900 ही है। उनका कहना है कि कानून सख्त नहीं होने से इस अपराध में पकड़े गए डॉक्टर और अन्य लोग छूट कर वापस आने पर फिर से यही काम करने लगते हैं।