राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) की वेबसाइट में मौजूद कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की ई-पाठ्यपुस्तक में कहा गया है कि 16 वीं सदी के मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप में शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों में एक सैन्य कमांडर के रूप में धैर्य, नियंत्रण और योजना की कमी थी।

सामाजिक विज्ञान की किताब के दूसरे पाठ ‘संघर्षकालीन भारत 1206AD-1757AD’ में लिखा है “सेनानायक में प्रतिकूल परिस्थितियों मे जिस धैर्य, संयम और योजना की आवश्यकता होनी चाहिए। प्रताप में उसका अभाव था।” एसोसिएट प्रोफेसर जो पुस्तक के लेखकों में से एक हैं ने पाठ के इस हिस्से से अपने आप को दूर कर लिया है। उनका कहना है कि यह उन्होने नहीं लिखा है और अब उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। आरबीएसई ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगा और ई-पाठ्यपुस्तक को साइट से हटाया जाएगा।

पाठ राजपूत योद्धा और मुगल राजा अकबर के बीच लड़ी गई हल्दीघाटी की लड़ाई के बारे में है। पाठ में कहा गया है कि मुग़ल सेना पहाड़ी इलाकों में लड़ने के लिए निपुण नहीं थी, जबकि मेवाड़ सेना खुले मैदान में लड़ने के लिए सक्षम नहीं थी। आगे कहा गया है कि जब मुगल सेना पीछे हटने लगी तो प्रताप की सेना उनका पीछा करते हुए बादशाह बाग़ मैदान में पहुँच गई। परिणाम प्रताप के लिए प्रतिकूल थे।

हालांकि, ई-पाठ्यपुस्तक में यह विशेष भाग राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल द्वारा वितरित कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक के 2020 संस्करण में उल्लिखित नहीं है। ई-पाठ्यपुस्तक में उल्लेख किया गया है कि कुछ इतिहासकारों ने लड़ाई को अनिर्णायक कहा है और कहते हैं कि कई अन्य लोगों का मानना है कि प्रताप इसमें हार गए थे।

पिछली भाजपा सरकार के दौरान 2017 में प्रकाशित पाठ्यपुस्तक में, यह उल्लेख किया गया था कि अकबर प्रताप को पकड़ने या मारने या मेवाड़ को जीतने में विफल रहे थे। पुस्तक ने महाराणा प्रताप के पक्ष में इस तर्क के साथ लड़ाई को पुरस्कृत किया था कि मुगल सेना ने मेवाड़ की सेना का पीछा नहीं किया और भय में समय बिताया।