भारत का इतिहास राजाओं की रियासत, सियासत, अदावत और रंजिशों से भरा पड़ा है। ऐसे ही एक राजा की कहानी हम आपको आज बताने जा रहे हैं। राजस्थान के भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह, सिर्फ रिसायत के कर्ताधर्ता नहीं बल्कि एक पढ़े-लिखे इंजीनियर, 7 बार के विधायक भी थे। वह दिन में किसानों के साथ खेतों में दिखाई देते थे तो रात में राजाओं के साथ क्लबों में चर्चा करते हुए। गुस्सैल इतने थे कि अपनी जीप से सूबे के मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को धक्का मार दिया था। जिसके बाद पूरा राजस्थान धधक उठा था। इन लपटों की गरमाहट को राजस्थान 35 सालों तक महसूस करता रहा।
राजा मान सिंह का जन्म 1921 में हुआ था। आजादी से पहले पढ़ाई के लिए विलायत जाना राज परिवारों की परंपरा हुआ करती थी। लिहाजा वह भी उस जमाने में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन चले गए। पढ़ाई करके लौटे तो अंग्रेजों ने सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट की नौकरी दे दी। नौकरी में मानसिंह का मन नहीं लगता था। रगों में दौड़ता राजपूताना खून कई बार हुकुम मानने से इनकार कर देता था। उस जमाने में भरतपुर के लोग अपने महलों और गाड़ियों पर दो झंडे लगाया करते थे। मान सिंह भी ऐसा ही करते थे, एक बार अंग्रेजों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो नौकरी छोड़कर चले आए।
राजनीति में पहला कदम और कांग्रेस के साथ समझौता: यह वो दौर था जब भारत आजाद हवा में सांस ले रहा था। स्वतंत्र हुए देश को पांच साल बीते थे कि राजनीति की आबोहवा में परिवर्तन का दौर शुरू हो गया। राजा मानसिंह ने 1952 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा। कांग्रेस में जाने के बजाय उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। डीग विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश की और साथ में कांग्रेस के साथ समझौता किया कि इस सीट पर कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं आएगा। इसके बाद वह 1952 से लेकर 1984 तक सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए। मान सिंह अपने गढ़ में इतने मजबूत थे कि उन्हें 1977 में जेपी लहर औऱ 1984 में इंदिरा लहर भी नहीं हरा पाई थी।
कांग्रेस ने तोड़ा समझौता: मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने अंदाज के चलते मान सिंह राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को खटकने लगे थे। 1985 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने मान सिंह के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतार दिया। और समझौतों को तोड़ते हुए डीग में प्रचार करने पहुंच गए। मुख्यमंत्री को अपनी विधानसभा में देखने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने मान सिंह के पोस्टरों को फाड़ना शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर पर कई बार मारी टक्कर: राजा मान सिंह मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के इस कदम से आग बबूला हो गए। सबसे पहले उन्होंने उस मंच को तुड़वाया जहां सीएम को भाषण देना था। इसके बाद वह अपनी जीप लेकर शिवचरण के हैलीपैड की तरफ बढ़े, वहां उन्हें सूबे के मुखिया का हेलिकॉप्टर दिखा तो उसे अपनी जीप से कई बार टक्कर मारी। हालात बिगड़ते देख तत्कालीन सीएम को सड़क का रास्ता पकड़कर जयपुर आना।
बहुचर्चित एनकाउंटर: मान सिंह की इस कदम का अंदाजा मुख्यमंत्री को भी नहीं था, पूरे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया। 21 फरवरी 1985 को घर से निकलने लगे तो परिवार ने रोका लेकिन वह नहीं माने। परिवार ने मीडिया रिपोर्ट्स में बताया कि वह आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं लेकिन इसी के कुछ घंटों बाद अनाज मंडी के पास उनके एनकाउंटर की जानकारी सामने आई। बताते हैं कि जब पुलिस ने मान सिंह को रोकने के लिए हाथ दिया तो वह कार रोककर पीछे करने लगे। इसी दौरान गोलीबारी होने लगी। जिसमें राजा मान सिंह और उनके दो साथियों की मौत हो गई।इस घटना से पूरा राजस्थान धधक उठा। सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
35 सालों बाद मिला इंसाफ: इस घटना के 35 सालों बाद राजा मान सिंह को इंसाफ मिला। 22 जुलाई 2020 को यानी की करीब 35 साल बाद इस मुठभेड़ में शामिल 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

