राहुल गांधी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के संगठन भारत का विभाजन कराना चाहते हैं। राहुल यहां उनके खिलाफ एक संघ पदाधिकारी द्वारा दायर मामले के संदर्भ में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वे इस तरह के मामले दर्ज किए जाने से परेशान नहीं होंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और काफी संख्या में कांग्रेस समर्थकों की मौजूदगी में राहुल ने कहा कि मैं देश की एकजुटता और देश के लोगों के बीच प्रेम और स्नेह के पक्ष में हूं। ये लोग (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) चाहते हैं कि मैं किसानों के लिए न लड़ूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता। ये मेरे डीएनए में है। ये मेरे भीतर है। मैं डरता नहीं हूं। मुझे डिगाया नहीं जा सकता। मैं खुश हूं। उन्हें जितने चाहें उतने मामले दर्ज कराने दीजिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि वे देश की एकजुटता के लिए खड़े हैं और वे संघ व ऐसे सभी संगठनों की विचारधारा के खिलाफ हैं, जो भारत को विभाजित करना चाहते हैं और देश के हित के लिए नुकसानदायक हैं। राहुल ने दावा किया कि इस तरह के मामले उन्हें अपनी उप्र यात्रा के पथ से डिगाने और परेशान करने के लिए दायर किए जा रहे हैं। उन्होंने यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से बाहर आने के बाद कहा कि मेरे खिलाफ इस तरह के मामले, मुझे गरीब किसानों, समाज के कमजोर तबकों, मजदूरों और बेरोजगार युवकों के अधिकारों की दिशा में काम करने से रोकने के लिए दायर किए जा रहे हैं।


राहुल ने कहा कि मेरे खिलाफ जितने भी मामले दर्ज किए जाएंगे, मैं उतना ही आगे बढूगा और गरीब किसानों, समाज के कमजोर तबकों, मजदूरों और बेरोजगार युवकों की मदद के लिए संघर्ष करूंगा। मेरा उद्देश्य उनकी मदद करना है। सरकार पर सिर्फ दस- पंद्रह लोगों की बेहतरी के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि अच्छे दिन सिर्फ उन लोगों के लिए आए हैं, जबकि किसान, मजदूर और बेरोजगार युवक अभी भी दुखी हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक विभाग संचालक अंजन बोरा ने राहुल गांधी के खिलाफ एक आपराधिक अवमानना मामला दायर करते हुए कहा है कि उन्होंने यह कह कर कि आरएसएस के लोगों ने उन्हें 12 दिसंबर, 2015 को असम के 16वीं सदी के एक वैष्णव मठ बारपेटा सत्र में घुसने नहीं दिया, आरएसएस की छवि को नुकसान पहुंचाया है। राहुल ने गुरुवार को पार्टी की असम इकाई के वरिष्ठ सदस्यों व पदाधिकारियों के साथ बैठक की।