Rafale Deal: इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया ने राफेल डील समेत कुछ मुद्दों पर महाराष्ट्र में सर्वे कराने का दावा किया है। सर्वे में राफेल डील को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े बताए गए हैं। सर्वे के मुताबिक 70 फीसदी लोगों को राफेल डील के बारे में जानकारी ही नहीं है। 30 फीसदी लोगों ने कहा कि वे राफेल डील के बारे में जानकारी रखते हैं। सर्वे में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र के 18000  लोगों की राय ली गई। राफेल डील में भ्रष्टाचार हुआ या नहीं, इस सवाल पर 18 फीसदी लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार हुआ है। 24 फीसदी लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ है और 58 फीसदी लोगों ने कहा कि पता नहीं भ्रष्टाचार हुआ या नहीं। बता दें कि पिछले काफी दिनों से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार को राफेल डील के मामले में लगातार घेरा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस डील को लेकर मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी का आरोप है कि रिलायंस के अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौदे से बाहर कर दिया गया।

मामले ने उस वक्त जोर पकड़ लिया जब पिछले दिनों फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में कह दिया कि रिलायंस को पार्टनर बनाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प ही नहीं था। ओलांद ने कहा था कि यह एकमात्र विकल्प भारत सरकार ने प्रस्तावित किया था। नतीजतन, राफेल बनाने वाला कंपनी दसॉल्ट के पास रिलायंस को साझेदार बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वहीं, पिछले दिनों एचएएल के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू ने दावा किया था एचएएल राफेल बनाने में सक्षम है, जबकि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एचएएल को राफेल बनाने में तकनीकि तौर पर असक्षम करार दिया था। इसके अलावा राफेल की कीमतों को लेकर घमासान मचा हुआ है।

यूपीए सरकार के दौरान हुई डील में राफेल की कीमत 590 करोड़ रुपये बताई गई थी, जोकि 2015 मोदी सरकार की डील में 1690 करोड़ रुपये बताई गई। इस पर कांग्रेस ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति से भी पूछा कि कीमतों में भारी अंतर कैसे हो गया। कीमतों और रिलायंस को आधार बनाकर कांग्रेस मोदी सरकार पर इस डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है। हाल में कांग्रेस ने इस मुद्दे को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को ज्ञापन दिया था जिसमें मांग की गई कि डील से जुड़े सभी दस्तावेजों को सीज कर एफआईआर दर्ज की जाए।