उत्तराखंड में बुधवार को एक बड़ी रेल दुर्घटना टल गई। नई दिल्ली से टनकपुर जा रही पूर्णागिरी जनशताब्दी एक्सप्रेस अचानक रेल पटरियों पर उल्टी दिशा में दौड़ने लगी। ट्रेन करीब तीन किमी दूर खटीमा के पास नदन्ना नदी के पास जाकर रुकी। उत्तराखंड में एक सप्ताह के भीतर यह दूसरी घटना है जब रेल दुर्घटना होते-होते बची है।

चंपावत के पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह ने बताया कि संभवत: किसी जानवर के टकराने के दौरान प्रेशर ब्रेक इस्तेमाल किए जाने से इंजन में तकनीकी समस्या आ गई और रेलगाड़ी अचानक उल्टी दिशा में दौड़ने लगी। हालांकि उन्होंने कहा कि बनबसा से दो-तीन किलोमीटर पीछे दौड़ने के बाद रेलगाड़ी चकरपुर में रूक गई और इसमें जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस दौरान रेलगाड़ी में करीब 60-70 यात्री थे और यात्रियों को चकरपुर में सुरक्षित उतार कर बसों से उनके गंतव्य तक भेजा गया है। शनिवार को नई दिल्ली से देहरादून आ रही शताब्दी एक्सप्रेस के एक कोच में राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरों रेंज के निकट आग लग गई थी । इस दौरान रेलगाड़ी का पूरा कोच जलकर खाक हो गया था, लेकिन उसमें यात्रा कर रहे 35 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।

इधर रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे देश की संपत्ति है और उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के लिए सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है और निजी क्षेत्र के निवेश से विकास की गति तेज होगी। गोयल ने रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।

इससे पहले चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया था कि सरकार रेलवे के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ चुकी है और उसका पूरा जोर सरकारी संपत्तियों को बेचने पर है। कांग्रेस सदस्य नारण भाई जे राठवा ने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे का निजीकरण करने पर तुली हुई है और देश में पहली निजी क्षेत्र तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत भी हो गई। उन्होंने दावा किया कि 109 मार्गों पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है।