मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में चार राज्यों में उपस्थिति जाहिर करके तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल कर लिया है। कम से कम 10 साल ( दो लोकसभा की मियाद पूरी होने तक) यह दर्जा छिनने का भय नहीं है। इसके बाद भी तृणमूल स्थिर होकर बैठने के बजाए दूसरे राज्यों में पैर पसारने की जुगाड़ में है। बताया जाता है कि अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और दल का लक्ष्य वहां पैर पसारना है।  सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर तृणमूल पंजाब में अपनी शाखा खोलने पर विचार कर रही है। दल के सांसद मुकुल राय उत्तर प्रदेश और पंजाब में ऐसे लोगों की तलाश में हैं, जिन लोगों से दल की पहचान वहां स्थापित की जा सके। बताया जाता है कि अगले एकाध महीने में चंडीगढ़ में तृणमूल की शाखा खुल सकती है। त्रिपुरा की तर्ज पर ही पंजाब में भी कई पूर्व कांग्रेसी नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है।

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बताया जाता है कि ममता बनर्जी के दल में शामिल होने वालों में कांग्रेस के कई पूर्व विधायक तैयार हैं। तृणमूल कांग्रेस नेताओं की ओर से कांग्रेस के पूर्व सांसद जगमीत बराड़ के साथ घनिष्ठता बढ़ाई जा रही है। मुकुल राय ने बराड़ के साथ कई बैठकें की हैं। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि वे ही पंजाब में दल का मुख्य चेहरा होंगे या नहीं। दल की ओर से विधानसभा चुनाव में अपने कुछ उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं। इसलिए लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से गठबंधन किया जा सकता है। 35 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद बराड़ ने कांग्रेस छोड़ कर अलग राजनीतिक मंच का गठन किया था। 1999 में उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल को फरीदकोट लोकसभा सीट पर पराजित किया था।

हाल में उन्होंने आप के साथ मुद्दों के आधार पर आप को पंजाब में बगैर किसी शर्त के समर्थन देने का एलान किया है। बताया जाता है कि बराड़ की ओर से आप को समर्थन देने के पीछे भी ममता की भूमिका है। अगर वे अपने मंच का तृणमूल में विलय करते हैं, तब ममता को प्रतिष्ठित नाम के साथ ही आम आदमी पार्टी का सहयोग भी मिल सकेगा। चर्चा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार बना सकती है। ऐसी हालत में तृणमूल कुछ सीटें जीतने में सफल हो सकती है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल त्रिपुरा में मुख्य विरोधी पार्टी है। उनके छह विधायक वहां हैं और दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर उम्मीदवारों का एलान भी कर दिया गया है। मणिपुर में भी दल को राजनीतिक मंजूरी मिली हुई है। लोकसभा चुनाव में अरुणाचल प्रदेश में बुरी तरह पराजित होने के बाद भी चुनाव आयोग के तय मानकों को पूरा करते हुए राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करनेके बाद पंजाब में अपनी उपस्थिति दर्ज करके केंद्र को चौंकाने के लिए चुनाव लड़नेका फैसला किया गया है।