महज 11 महीने के ब्रेनडेड बच्चे ने किडनी फेल होने की बीमारी से जूझ रही महिला की जान बचा ली है। अब इस बच्चे को सबसे कम उम्र का अंगदाता घोषित किया गया है। ये अंगदान चंडीगढ़ के परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान में किया गया। अंगदान करने वाले 11 महीने के बच्चे का नाम प्रीतम था, वह चंडीगढ़ के सेक्टर 45 का रहने वाला था। बीते 6 जुलाई को वह खाट से नीचे गिर पड़ा था, जिसकी वजह से उसके सिर में कई गंभीर चोटें आईं थीं।
प्रीतम के परिजन उसे सेक्टर 32 के सरकारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में लेकर आए थे। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे चंडीगढ़ के परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान में भेज दिया गया। हालांकि, इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ती चली गई और उसके माता-पिता गीता और लक्ष्मण पुन को बीते 7 जुलाई को बता दिया गया कि बच्चा अब ब्रेनडेड हो चुका है। बाद में परिजनों की अनुमति लेकर बच्चे की किडनी निकालकर पंजाब की 38 साल की महिला को प्रत्यारोपित कर दी गईं। प्रीतम के पिता 24 वर्षीय लक्ष्मण ने कहा,”मैं बेटे को बचा नहीं सका। कम से कम उसके अंगों को दान करके मैं किसी अन्य की जिंदगी तो बचा ही सकता हूं।
अस्पताल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा,”चंडीगढ़ के सेक्टर 45 के 11 महीने के बच्चे के परिजनों ने अंगदान करके नज़ीर पेश की है। बच्चे की किडनी से परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान, चंडीगढ़ में दोनों किडनी फेल होने से पीड़ित महिला को जिंदगी मिल गई है। इस अंगदान ने बच्चे को परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान, चंडीगढ़ के इतिहास का सबसे कम उम्र का अंगदाता बना दिया है। किडनी प्रत्यारोपण का ये कार्यक्रम साल 1996 में शुरू किया गया था।”
परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान, चंडीगढ़ के गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग के प्रमुख डॉ. आशीष शर्मा ने कहा कि ये बच्चा देश का भी सबसे कम उम्र का अंगदाता हो सकता है। उन्होंने कहा,”अंगदान करने के लिए निर्धारित नियमों के मुताबिक, एक साल से कम उम्र के बच्चे से दान लेने के लिए दो टेस्ट करने अनिवार्य हैं। पहला बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया हो। दूसरा अंगदान ब्रेनडेड घोषित होने के 24 घंटे के भीतर कर दिया जाए। ये बाल रोग चिकित्सक के लिए बेहद जटिल काम है कि वह इस समय के अंतराल में बच्चे के अंग को सुरक्षित रख सके।”
डॉ. शर्मा ने कहा,”समय के साथ किडनी का आकार बढ़ जाएगा लेकिन उस वक्त तक मरीज को सावधानियां रखनी होंगी। जैसे अंगदान लेने वाले का रक्तचाप बच्चे के रक्तचाप के बराबर ही होना चाहिए। पिछले साल मैंने तीन साल के बच्चे की किडनी एक व्यस्क को प्रत्यारोपित की थी। महज तीन महीने में ही किडनी का आकार 6 सेमी से बढ़कर 8 सेमी हो गया था।”
इस सर्जरी के चैलेंज के बारे में बताते हुए डॉ. आशीष शर्मा ने बताया,”सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि बच्चे की किडनी का आकार 4.5 सेमी था जबकि व्यस्क की किडनी का आकार 11 सेमी होता है। ऐसे में किडनी को सही जगह और स्थिति में लगाना ही सबसे बड़ा चैलेंज था। फिलहाल सर्जरी के दूसरे दिन भी मरीज की स्थिति सामान्य बनी हुई है।”