पंजाब के जालंधर में एक दपंत्ति आज भी महज 300 रुपए प्रति महीना में काम करने को मजबूर है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि पिछले चार सालों से उन्हें इतनी कम तनख्वाह भी नहीं दी गई। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जालंधर के गुरचरण सिंह और उनकी पत्नी सुंदरेन रोज सुबह पांच बजे उठकर करीब 30 गलियों को साफ करते हैं, नालियों में अटके कूड़ो को बाहर निकलते हैं और करीब दस बजे वापस अपने घर लौट आते हैं। दोनों को अपने इस काम के बदले ग्राम पंचायत से 300-300 रुपए की मजदूरी मिलती है। इसके अलावा टूट कालन और बिल्ला नवाब गांव के 500 घरों से एक कप आटा भी मिल जाता है। हालांकि पंजाब के 22 जिलों की 13,018 ग्राम पंचायतों में काम कर रहे गुरचरन और उनकी पत्नी जैसे करीब 16,000 कर्मचारियों को आखिरी बार सरकारी आवंटित वेतन साल 2014 में मिला था।
गुरचरण सिंह कहते हैं, ‘मैं 1984 से अपना गांव साफ कर रहा हूं। मेरी शादी हुई तो पत्नी भी पास वाली ग्राम पंचायत में काम करने लगी। पूर्व में इस काम के बदले में हमें गांव के हर घर से एक छोटा कटोरा आटा मिलता था, और साल 2007 के बाद पंजाब सरकार ने हमें काम के बदले में प्रति महीना 300 वेतन देने की शुरुआत की।’ चूंकि सरकार इस मेहनताने से बच्चों और परिवार को नहीं पाला जा सकता, इसलिए सिंह के परिवार ने सुअर और गायों को पालना शुरू कर दिया। सिंह कहते हैं कि वह अपनी बुनियादी जरुरतों को पूरा करने के लिए सुअर पालते हैं।
जीवन-यापन के लिए उचित मेहनताना ना मिलना केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए यह वजह भी खासी चुनौती भरी है। यहां पजांब सरकार ने साल 2007 से इन मजदरों के लिए मेहनताना तो तय किया मगर, 2014 से इसमें भी बाधा आने लगी। हालांकि ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग ने 13,018 ग्राम पंचायतों के लिए (एक वर्ष के लिए) 4.69 करोड़ रुपए तो जारी किए हैं, मगर पैसा अभी तक मजदूरों तक नहीं पहुंचा है। जो वेतन रुका था उसे जिला विकास और पंचायत अधिकारी (DDPO) द्वारा उनके खाते में पहुंचाना था। मगर ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि जालंधर के DDPO अजय कुमार ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि कर्मचारियों के खातों के ब्योरे इकट्ठे किए जा रहे हैं और पैसा जल्द ही उनके खाते में भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 300 रुपए प्रति काफी कम राशि है। मगर भुगतान में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि कभी-कभी एस बार अकाउंट नंबर गलत हुआ तो पूरी राशि अटक जाती है। हालांकि इस साल जारी राशि का उपयोग किया जाएगा।