शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर राम रहीम को बार-बार मिलने वाली पैरोल पर आपत्ति जताई थी। एसजीपीसी ने इसका विरोध किया था। वहीं अब हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में वह नियमों के आधार पर फैसला ले। एसजीपीसी ने ये याचिका पिछले साल दाखिल की थी।
राजनीतिक कारणों से मिल रहा पैरोल- SGPC
याचिका में कहा गया था कि हरियाणा सरकार राम रहीम को राजनीतिक कारणों से बार-बार पैरोल दे रही है। जबकि उनके खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं। इसके बाद फरवरी 2024 में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि उसकी इजाजत के बिना राम रहीम को पैरोल या फरलो ना दी जाए। इसके बाद से ही सुनवाई जारी थी।
हत्या और रेप जैसे मामलों में सजा काट रहे राम रहीम को अब तक आठ बार पैरोल मिल चुकी है। इसी वर्ष जनवरी के महीने में राम रहीम को 50 दिन की पैरोल मिली थी। एसजीपीसी ने अपनी याचिका में राम रहीम को आठ बार पैरोल मिलने पर आपत्ति जताई थी।
कोर्ट ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रतिवादी नंबर 9 (राम रहीम) द्वारा दायर पैरोल के आवेदन पर विचार और निर्णय लेते समय हरियाणा राज्य द्वारा 2022 के अधिनियम को सही तरीके से लागू किया गया है। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि राम रहीम के मामले में Haryana Good Conduct Prisoners (Temporary Release) Act, 1988 लागू किया जाना चाहिए था।
हाई कोर्ट के सामने पहले पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार राम रहीम को 2022 और 2023 में 91 दिनों के लिए रिहा किया गया था। राम रहीम को पहली बार 2017 में पंचकुला अदालत द्वारा बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और लगातार दस-दस साल कारावास की सजा सुनाई गई थी। 2019 में उन्हें हत्या की साजिश के एक मामले में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 2021 में उन्हें फिर से एक अन्य हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।