पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ChatGPT का इस्तेमाल कर हत्या के एक मामले में फैसला सुनाया है। सोमवार (27 मार्च, 2023) को कोर्ट में एक अर्जी पर सुनवाई हुई थी। जस्टिस अनूप चितकारा ने हत्या के आरोपी की दलीलें और ChatGPT पर जवाब सुनने के बाद जमानत की मांग खारिज कर दी। ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोर्ट ने अपने फैसले में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से पूछे गए सवाल और उसके जवाबों का हवाला दिया है।

कोर्ट ने किया ChatGPT का इस्तेमाल

न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की पीठ ने दंगा, आपराधिक धमकी, हत्या और आपराधिक साजिश के लिए जून 2020 में गिरफ्तार किए गए एक आरोपी जसविंदर सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दुनियाभर का दृष्टिकोण जानना चाहा और ChatGPT का इस्तेमाल किया। ChatGPT के जवाब के बाद कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

क्रूरता से निहत्थे शख्स पर किया गया था हमला

यह मामला जून 2020 का है, जब आरोपी जसविंदर सिंह और उसके साथियों ने एक शख्स पर हमला कर दिया था। इस हमले में शख्स की मौत हो गई थी। जसविंदर ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिस वक्त शख्स पर हमला किया गया, उस समय वह निहत्था था इसलिए जसविंदर को रियायत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि जब किसी इंसान पर क्रूरता से हमला किया जाता है, तो जमानत के पैरामीटर बदल जाते हैं।

एआई टूल ने दिया कोर्ट के सवाल का जवाब

आदेश पारित करने से पहले, पीठ ने एआई टूल से पूछा: “जब हमलावरों ने क्रूरता से हमला किया तो जमानत पर न्याय की किताब क्या कहती है?”

हाईकोर्ट के विस्तृत आदेश के अनुसार, ChatGPT की प्रतिक्रिया में कहा गया कि न्याय की किताब के अनुसार, जहां हमलावरों ने क्रूरता से हमला किया है, वहां के कानून और उस मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि आरोपी को जमानत दी जाए या नहीं।

“हालांकि, सामान्य तौर पर, अगर हमलावरों पर एक हिंसक अपराध का आरोप लगाया गया है जिसमें हत्या, उग्र हमला या यातना जैसी क्रूरता शामिल है, तो उन्हें समुदाय के लिए खतरा माना जा सकता है। ऐसे मामलों में, न्यायाधीश जमानत देने के लिए कम इच्छुक हो सकता है। हमले की गंभीरता, प्रतिवादी का आपराधिक इतिहास और उनके खिलाफ सबूत कितने मजबूत हैं, इन कारकों पर भी न्यायाधीश फैसला देने से पहले विचार करेगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निर्दोषता की धारणा न्याय प्रणाली का एक मूलभूत सिद्धांत है, और सभी प्रतिवादी जमानत के हकदार हैं जब तक कि इससे इनकार करने के लिए बाध्यकारी कारण न हों।”

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि वह समानता के आधार पर जमानत के हकदार थे, पंजाब सरकार ने याचिका का विरोध किया। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता का क्रिमिनल रिकॉर्ड है और उस पर हत्या के प्रयास के दो मामले हैं।