महाराष्ट्र के पुणे जिले के समीप भीमा कोरेगांव में इस साल के शुरूआत में हुई हिंसा मामले में पुलिस ने चार्जशीट दायर करने के लिए और अधिक समय की मांग की है। पुणे पुलिस ने पुणे कोर्ट में एक आवेदन देकर चार्जशीट फाइल करने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया है। दरअसल, कुछ दिनों पहले पुणे पुलिस ने माओवादियों से संपर्क के संदेह के आरोप में देश भर के पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इनकी गिरफ्तारी के विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य चार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर की थी। याचिका के माध्यम से गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई का अनुरोध किया गया। इसके अलावा स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध भी किया गया। वहीं, इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के मंत्री दीपक केसरकर का कहना ने कहा कि जब तक पुलिस के पास सबूत नहीं होते हैं, वह एक्शन नहीं लेती है।
Pune Police has filed an application in a Pune court for extension of time to file chargesheet in Bhima Koregaon violence case.
— ANI (@ANI) September 1, 2018
बता दें कि पुणे के निकट कोरेगांव-भीमा गांव में पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एलगार परिषद के बाद दलितों और सवर्ण जाति के पेशवाओं के बीच हिंसा की घटनाओं के सिलसिले में चल रही जांच के दौरान 28 अगस्त को पुलिस ने देश के कई हिस्सों में छापे मारे। पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मुंबई, पुणे, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 10 जगहों पर छापे मारे। इनमें वामपंथी विचारक वरवर राव समेत वेर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण परेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल महाराष्ट्र के नजदीक पुणे के भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरा होने के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। दलित समुदाय के करीब पांच लाख लोग शौर्य दिवस मनाने के लिए भीमा कोरेगांव पहुंचे थे। इस दौरान दो गुटों में झड़प के बाद एक युवक की मौत हो गई थी। इसेक बाद राज्य के करीब 18 जिले हिंसा की चपेट में आ गए थे। जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। इस दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। पूरे इलाके में तनाव पैदा हो गया था।