आजकल के जीवन में नौकरी करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में बड़ी सैलरी पर हायरिंग तो हो जाती है, लेकिन बाद में जब जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ता है, जब शिफ्ट टाइम से ज्यादा ऑफिस में बिताना पड़ता है, तबीयत भी बिगड़ती है, मानसिक स्वास्थ्य भी खराब होता है और कुछ मौकों पर मौत तक हो जाती है। पुणे से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर एक 26 साल की लड़की की जान चली गई। कारण ऑफिस में जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ रहा था, कारण- वीकेंड पर भी छुट्टी मनाने का मौका नहीं मिला।
काम का बोझ, मां की चिट्ठी और एक अपील
अब जिस 26 साल की लड़की की बात हो रही है, उसका नाम एना सेबेस्टियन पेरायिल है जिसने इस साल मार्च में ही एक कंपनी ज्वाइन की थी, वो एक जूनियर सीए के रूप में हायर की गई थी। लेकिन मात्र चार महीने बाद जुलाई में उस लड़की की मौत हो गई। अब इस बात को भी दो महीने पूरे होने को हैं, लेकिन इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि बेटी की मां का एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। उस लेटर में मां ने अपना दर्द बयां किया है, उसने बताया है कि कैसे उसकी बेटी को जरूरत से ज्यादा प्रेशर में डाला गया था, किस तरह से उसे परेशान किया जा रहा था।
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मेहनत को माना जरूरी, लेकिन जान ही चली गई
असल में जिस कंपनी में एना काम करती थी, उसके अध्यक्ष को बेटी की मां ने पत्र लिखा है। उस पत्र में एक तरफ वर्क कल्चर बदलने की नसीहत दी गई है, दूसरी तरफ अपनी बेटी के लिए न्याय भी मांगा गया है। एना की मां के मुताबिक ज्वाइनिंग के समय ही उनकी बेटी को बता दिया गया था कि इस कंपनी से कई लोगों ने इस्तीफा दिया था। उसका कारण भी यही था कि काम जरूरत से ज्यादा मिलता था, प्रेशर बहुत था। लेकिन क्योंकि एना शुरुआत से ही मेहनती रही, ऐसे में उसे लगा कि काम कर ही सफलता मिल सकती है। ऐसे में उसने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और काम करने में लग गई।
शिफ्ट का अता-पता नहीं, बस काम ही काम
लेकिन अब एना की मां ने अपने पत्र में बताया है कि कंपनी में काम करने के कुछ दिनों बाद ही उनकी बेटी को तनाव की शिकायत होने लगी थी, रात में नींद कम आती थी। मां ने आरोप लगाया कि उस कंपनी ने उनकी बेटी से देर रात तक काम करवाया, उसके बाद जब वीकेंड में छुट्टी होती थी, तब भी घर से काम किया। ऐसे में सांस लेने तक का मौका उसे नहीं दिया गया। एना की मां की माने तो एक बार देर रात भी उनकी बेटी को एक काम दे दिया गया था। वो पूरी रात जग काम करती रही, फिर सुबह ऑफिस भी आ गई। ऐसे में सिर्फ तनाव ही बढ़ रहा था।
क्या कंपनियां बदलेंगी वर्क कल्चर?
अब हैरानी की बात यह है कि एना के अंतिम संस्कार में कंपनी का कोई भी कर्मचारी शामिल नहीं हुआ है, बेटी की मां ने भी अपनी चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया है। उनकी बस इतनी अपील है कि उनके परिवार के साथ जो हुआ है, वो किसी दूसरे परिवार के साथ ना हो जाए। वे चाहती हैं कि कंपनियों में नियम बदलने चाहिए, वर्क लोड को ठीक तरह से मैनेज करना चाहिए। अभी के लिए तो जो इस मां की चिट्ठी को पढ़ रहा है, वो सिर्फ भावुक हो रहा है, अंदर तक सिहर जा रहा है।