मध्य प्रदेश में जनसुनवाई के दौरान अपनी तकलीफ बताने लोग पहुंचे तो अफसरों ने समाधान करने के बजाय सबूत मांग लिया। शिवपुरी जिले में मंगलवार को कलेक्ट्रेट में चल रही जनसुनवाई के दौरान एक वृद्ध महिला सीएमओ शैलेंद्र अवस्थी के पैरों पर गिर पड़ी। उसका कहना था कि उसे भगवान ने गरीब बना दिया है और उसका जीवन नरक जैसा है, लेकिन आम नागरिकों की तरह बुनियादी सुविधाएं तो उसे भी मिलनी चाहिए।

महिला जहां रहती है उस क्षेत्र में सामान्य सुविधाएं भी नहीं हैं। उसने सीएमओ से पूछा कि आखिर गलती क्या है कि उसे बिजली-पानी और अन्य जरूरी आम सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इसी तरह कत्थामिल नोहरी क्षेत्र की रहने वाली रज्जो आदिवासी ने जब एडीएम उमेश शुक्ला से कहा कि उसका गेहूं बाढ़ के पानी में भीग गया है तो उन्होंने उससे सबूत दिखाने को कहा गया।

रज्जो ने कहा कि इस मामले में सबको मुआवजा मिल चुका है, लेकिन सिर्फ उसे ही नहीं मिला। एडीएम उमेश शुक्ला ने कहा कि गेहूं कहां भीगे हैं, लाकर दिखाओ। प्रशासन की ओर से बताया जा रहा है कि सबकी मदद की जा रही है, लेकिन आम लोगों का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई मदद नहीं मिली। इतना ही नहीं इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग में मुआवजे के लिए 20 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। आवेदनों की इतनी संख्या से साफ है कि बड़ी संख्या में लोगों के पास अभी तक मुआवजा नहीं पहुंच सका है।

जनसुनवाई के दौरान बहुत ही कम विभागों के अफसर मौजूद रहे। जो मौजूद रहे, उन्होंने भी शिकायतों के निस्तारण से ज्यादा मीडिया वालों को कवरेज करने से रोकने पर ज्यादा ध्यान दिया। इस दौरान कई बार बिजली भी कटी। इससे भी लोगों में गुस्सा रहा। उनका कहना था कि जब यहां बिजली कट रही है तो समझा जा सकता है कि आम लोगों के घरों में कितनी बिजली आती होगी। इससे साफ पता चलता है कि शासन के तमाम दावों के बावजूद आम बुनियादी सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पा रही है।