खुद को शाहजहां का वारिस बताने वाले प्रिंस तुसी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सुर्खियों में उनके होने का कारण मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के मौक पर हुआ विवाद है। मंगलवार को उर्स के मौके पर अजान को लेकर विवाद हो गया। प्रिंस तुसी का कहना है कि ताजमहल इबादतगाह नहीं है यहां फातिहा पढ़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट और पुरातत्व सर्वेक्षण महानिदेशक से करेंगे।
यूं शुरू हआ विवाद: नवभारत टाइम्स के मुताबिक मंगलवार को प्रिंस तुसी जियारत करने पहुंचे थे। गुस्ल की रस्म शुरू हुई। इस दौरान ताजमहल के तहखाने को खोला गया जहां शाहजहां और ममुताज की असली कब्रें हैं। तहखाने की सीढ़ियों पर ही अजान कर दी गई। रस्म के बाद प्रिंस तुसी ने इसका विरोध किया जिसके बाद हंगामा हो गया। मामले को तूल पकड़ता देख पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और इंतजामिया कमिटी के लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को बुला लिया। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने विवाद को लेकर कहा कि प्रिंस तुसी से ज्यादा हमारे लिए उर्स की रस्म जरूरी है।
पहले भी हो चुका है विवाद: उर्स कमिटी और प्रिंस तुसी का यह विवाद नहीं है। इससे पहले भी विवाद हो चुका है।कमिटी की तरफ से चढ़ाई जाने वाली चादर लेकर विवाद है। साल 2007 में प्रिंस ने कमिटी वैधता को लेकर अदालत में चुनौती दी थी। जहां बाद में केस खारिज हो गया था।
उर्स पर दिखती है असली कब्र: गौरतब है कि शाहजहां के उर्स के तीन दिन तक ताजमहल के अंदर जाने का कोई टिकट नहीं लगता। साथ ही तहखाने के दरवाजे खोल कर शाहजहां की असली कब्र भी आम लोगों के लिए खोल दी जाती है। जबकि पूरे साल असली कब्र बंद रहती हैं। बता दें कि प्रिंस तुसी कई बार मीडिया के सामने खुद को शाहजहां का वंशज होने की बात कह चुके हैं।