स्मिता नायर
गोवा के पूर्व पादरी और सामाजिक कार्यकर्ता बिसमार्क डायर की मौत को लेकर सवाल आज भी बरकरार हैं। मंगलवार को उनका शव गोवा के सेंट एस्टीवम गांव में दफनाने के लिए लाया गया। जब अंतिम रस्मों को पूरा करने के लिए धान के खेतों से होता हुआ उनका ताबूल  सेंट स्टीफन चर्च के अंदर लाया तो तमाम गांववाले मौके पर खड़े थे। स्थानीय निवासी और पारिवारिक मित्र नेस्टर रंगल ने कहा, ‘अब राहत है।’ उन्होंने कहा, ‘कई तरह से इस बात का आभास होता है कि परिवार को न्याय नहीं मिाल। गांव को भी ऐसा लगता है। आधिकारिक वर्जन यही है कि यह सुसाइड का केस है, लेकिन परिवार को मर्डर का शक है। वह इस इलाके में आ रहे कई कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स की राह में रोड़ा थे और हमें ऐसा लगता है कि उनकी मौत के पीछे एक कहानी है। शवगृह ऐसी जगह नहीं, जहां उनके जैसा शख्स रहे।’

बता दें कि 6 नवंबर 2015 को 52 साल के डायस का शरीर 20 किमी दूर मांडोवी इलाके में पानी में तैरता हुआ मिला था। गोवा पुलिस ने शुरुआत में इसे ‘अप्राकृतिक’ मौत कहा था और बाद में किसी ‘गड़बड़ी’ की आशंका जताई थी। इसके महीनों बाद सामाजिक कार्यकर्ता, परिवार और दोस्तों ने भी गड़बड़ी का शक जताया। इन लोगों ने उस वीडियो की ओर ध्यान दिलाया, जो मौत से एक दिन पहले डायस ने बनाया था। इस वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें बिल्डरों और स्थानीय नेताओं की एक लॉबी धमका रही है। 2007 में परिवार ने उनका शव गोवा मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल के शवगृह से लेने से इनकार कर दिया था।

वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर उनकी मौत को मर्डर के मामले के तौर पर दर्ज किया गया।  पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, डायस आखिरी बाद दो लड़कों के साथ तैरने गए थे। उन लड़कों ने अपने बयान में कहा कि वह रात को अकेले तैरने के लिए गए। इस साल अप्रैल में मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने हाई कोर्ट से कहा कि सभी सबूत किसी गड़बड़ी की आशंका को खारिज करते हैं। उनकी मौत से गमजदा गांवालों को उनके अंतिम शब्द के तौर पर उनका वो गाना याद है जिसमें उन्होंने सभी से खेती के लिए लौटने के लिए कहा था। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस साल 3 सितंबर को यह खबर भी छापी थी कि उनके गांव के लोग 3 दशक बाद खेती के लिए वापस लौटे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी जमीन प्रोजेक्ट डेवलेपर्स के पास न चली जाए।