राजधानी में टमाटर शनिवार को 100 रुपए प्रति किलो पर फुटकर बाजार में पहुंच गया है। सब्जियों के दामों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। लगातार बढ़ रहे दामों से खाने का जायका बिगड़नें लगा है। घरों का बजट भी चरमारा गया है। लोग समझ नहीं पा रहें हैं कि सब्जी खाए या फिर दाल। टमाटरों के दाम तो लगातार करीब दो माह से बढ़ ही रहें हैं, साथ ही सब्जियों के दामों में बीते एक पखवाड़ें में बढ़ोतरी शुरू हुई है। सब्जियों के दाम बढ़ने की वजह बरसात की वजह से ज्यादातर राज्यों में खराब हुई फसल को बताया जा रहा है। सब्जियों के दामों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हरी सब्जियों के दामों में हुई है। टमाटर और सब्जियों के बढ़ रहे दामों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रह गया है। इस मामले में न तो दिल्ली सरकार और न ही केंद्र सरकार की तरफ से दामों पर नियंत्रण पाने के लिए कोई योजना बनी है।
उत्तरी भारत में मानसून से पहले की बरसात से खराब हुई टमाटर की फसल के कारण राजधानी में टमाटरों के दामों में लगातार दो माह से इजाफा होना शुरू हो गया था। जून माह में टमाटर के दाम 80 रुपए किलो पर पहुंचे थे। उसके बाद हिमाचल से जब काफी मात्रा में टमाटर दिल्ली आया तो टमाटर के दाम घटने शुरू हो गए। वैसे फुटकर बाजार में ये ही टमाटर करीब 20 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा था। करीब डेढ़ माह पहले देश के ज्यादातर हिस्सों में बेमौसम बारिश शुरू हो गई। खेतों में टमाटरों की फसलें खराब होने लगीं। टमाटर जो स्टोर में पड़ा था, वह बिक्री के लिए बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी होकर आने लगा। देश में टमाटर की सबसे ज्यादा खपत दक्षिणी भारत में है। दक्षिणी भारत में टमाटर के दाम बढ़ने लगे, तो उसकी देखादेखी उत्तरी भारत में भी दाम बढ़नें शुरू हो गए हैं। जो टमाटर राजधानी में मई माह में 20 रुपए प्रति किलो बिकता था, वह इन दिनों 100 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। ये भाव आज शनिवार को फुटकर बाजार का है। उत्तरी भारत में ज्यादातर टमाटर हिमाचल से आता है। बरसातों की वजह से वहां से भी टमाटर की आवक कम हो गई है। हिमाचल को सोलन और राजगढ़ में टमाटर की अच्छी खासी खेती होती है। वहीं से टमाटर की खेप जून माह में दिल्ली पहुंची ,तो दाम घटने शुरू हो गए । अब हिमाचल से भी टमाटर की आवक कम हो गई, तो राजधानी में इसके दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं।
एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी आजादपुर के थोक विक्रेता राजकुमार भाटिया का कहना है कि बरसातों में तो हर साल सब्जियों और फलों के दामों में बढ़ोतरी होती ही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में जलभराव होता है और ट्रांसपोर्टर सामान कम लाते हैं। उनका कहना है कि मंडी में सब्जी की आवक कम होने से दाम बढ़नें स्वभाविक ही हैं। उनका कहना है कि राज्यों में पानी उतरने के साथ ही मंडी में आवक बढ़ जाएगी और दाम कम होने शुरू हो जाएंगे।

