काशी की तर्ज पर बरेली के प्राचीन सात शिव मंदिरों को ‘नाथ नगरी योजना’ के तहत आपस में जोड़ने के लिए एक भव्य गलियारे का निर्माण कराया जाएगा। इस योजना को लागू करने के लिए शासन से हरी झंडी मिलने के बाद यहां इसकी विस्तृत परियोजना (डीपीआर) तैयार कर इसे जल्द धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है।
बरेली शहर के चारों ओर प्राचीन शिव मंदिर होने के कारण शिवभक्त तो इसे कई दशकों से ‘नाथ नगरी’ के रूप में ही मानते रहे है। इतिहास में बरेली का नाम पहले बांस बरेली था जो अब बरेली के नाम से पहचाना जाता है। शिवभक्तों की आस्था है कि शहर के चारों ओर शिव मंदिर होने के कारण भगवान शिव स्वयं ही यहां विराज कर हर संकट से रक्षा करने के अलावा उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते रहे हैं। सावन के महीने में सभी शिव मंदिरों पर मेले जैसा माहौल रहता है। कई शिवभक्त तो कांवड़ से जल लाकर सभी प्राचीन शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते है।
इतिहासकार गिरिराज नंदन ने बताया कि शहर की पूर्व दिशा में बनखंडीनाथ मंदिर अति प्राचीन है। उन्होंने कहा कि जनश्रुतियों के मुताबिक यहां कभी वन हुआ करता था, जिसमें अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी तरह दक्षिण दिशा में छावनी इलाके में स्थित धोपेश्वरनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां धूम्र ऋषि और कई अन्य ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी। इसके अलावा उत्तर दिशा में किला के पास अलखनाथ मंदिर और दक्षिण दिशा में मढ़ीनाथ मंदिर, सुभाषनगर में तपेश्वरनाथ मंदिर और प्रेमनगर में त्रिवटीनाथ मंदिर प्राचीन शिवालयों में शामिल है।
इन सभी प्राचीन मंदिरों के साथ कई लोक कथाएं जुड़ी हुई है। इन प्राचीन मंदिरों के अलावा अभी हाल ही में काठमांडो की तर्ज पर बनाए गए पशुपतिनाथ मंदिर की भी लोगों में काफी मान्यता है। इतिहासकार नंदन का कहना है कि प्राचीन मंदिरों के बारे में लिखित इतिहास बहुत ही सीमित है। सरकारों ने अब मंदिरों की ओर ध्यान देना शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक मंदिरों पर शोध होने पर इनसे जुड़े कई नए तथ्य प्रकाश में आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जहां लिखित इतिहास नहीं होता वहां लोक कथाओं पर ही इतिहासकार विश्वास करते हैं। नाथ नगरी योजना को लेकर आम लोगों में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है। लोगों ने अभी से शिव मंदिरों के आसपास के मोहल्लों और कालोनियों के नाम शिव के विभिन्न नामों पर रखने की मांग शुरू कर दी है।
हाल ही में हुए निकाय चुनाव में दूसरी बार महापौर चुने गए उमेश गौतम ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि मंदिरों के इर्द-गिर्द के मोहल्लों के नाम जनआकांक्षाओं के मुताबिक भगवान शिव के नाम पर ही रखे जाएं। इस संबंध में वे निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखेंगे। मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने बताया कि नाथ नगरी योजना को धरातल पर उतारने का काम बनखंडीनाथ मंदिर से शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ दौरा करके इस मंदिर के आसपास के अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा यहां सड़क निर्माण का काम जल्द शुरू कराया जाएगा। इस योजना के धरातल पर उतरने से पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों को आपस में जोड़ने के लिए चौड़ी और चमाचम सड़कों के निर्माण कराए जाएंगे। सभी मंदिरों के पास वाहन पार्किंग स्थल, महिलाओं के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था की जाएगी ताकि पर्यटकों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो। शिव मंदिरों को जोड़ने वाले गलियारे की सड़कों पर ई-बसें, ई-रिक्शा और दूसरे सुविधाजनक वाहन चलाने के इंतजाम भी किए जाएंगे।