पश्चिम बंगाल में अगले महीने पंचायत चुनाव होने हैं। 3 अप्रैल को चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की गो।णा के बाद से ही राज्य के कई इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आ चुकी हैं। चुनावों के ऐलान के साथ ही कई इलाकों में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। बीरभूम के बीजेपी जिला अध्यक्ष रामकृष्ण रॉय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ‘जिले के 12 गावों के प्रत्याशी जब अपना नामांकन कराने बीडीओ ऑफिस पहुंचे तो देखा कि वहां लगभग 300 टीएमसी कार्यकर्तांओं का जमावड़ा लगा हुआ था। उन लोगों ने बीडीओ ऑफिस को चारों तरफ से घेर रखा था। हमारे जो भी प्रत्याशी वहां नामांकन कराने आए थे उनका टीएमसी वर्कर्स ने पीछा किया।’ रॉय ने ये भी बताया कि यही हाल उसके अगले दिन भी रहा। इसके बाद हमने तय किया कि हमारे सारे प्रत्याशी और समर्थक एक साथ नामांकन कराने पहुंचेगें।

बीजेपी का कहना है कि ये सारे प्रत्याशी और समर्थक 7 अप्रैल के दिन इलाके के मोहम्मद बाजार के पास इकट्ठा हुए। बीजेपी के नकुल रॉय ने बताया कि, ‘हम लोग लगभग 14000 की संख्या में थे। हम लोग जैसे ही वहां से बीडीओ ऑपिस की तरफ बढ़े तो सेउराकुरी के पास पुलिस ने हमें रोक लिया। इसके बाद हमारे लोग पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ आगे बढ़ने लगे जिसके बाद ही पुलिस से हमारी झड़प हुई और इस पूरे वारदात का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया।’

बीजेपी के एक दूसरे नेता का कहना है कि, ‘हमारे कुछ लोग जैसे तैसे बीडीओ ऑफिस पहुंचे। वहां पहुंचेते ही टीएमसी के लोगों ने हमारे ऊपर बम और बड़े-बड़ पत्थर फेंकने सुरू कर दिये। वो लगो चाहते हैं कि हम चुनाव ही ना लड़ें जिससे वह निर्विरोध चुन लिये जाएं। हमारे पास उनकी इस मंशा को नाकामयाब करने का एक ही रास्ता बचा जिसे बादमें हमने अपनाया।’

मल्लिका कर नाम की बीजेपी की एक आदिवासी प्रत्याशी ने बताया कि, ‘मुझे नाम वापस लेने के लिए टीएमसी की तरफ से घर देने का लालच दिया गया। जब मैंने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया तो वो लोग मुझे जान से मारने की धमकी देने लगे।’ एक अन्य शक्स ने बताया कि, ‘पुलिस हमें परेशान कर रही है। टीमएसी के लोग धमका रहे हैं। हम डरे हुए हैं। काम पर भी नहीं जा सकते। इधर-उधर छिपना पड़ रहा है। ये लोग फोम करके धमकी देते हैं कि तुम अपने घर की औरतों के लिए सपेद साड़ी का इंतजाम कर लो।’