दुनिया में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत का एक गांव ऐसा भी हैं जहां पिछले 97 साल से आबादी नहीं बढ़ी। इस गांव में 1922 में 1700 लोग रहते थे और आज 2019 में भी उतने ही लोग रह रहे हैं। यह गांव है मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का धनोरा गांव, जहां के लोग आबादी के मामले में एक मिसाल बन गए हैं। इसको लेकर यहां के लोग गर्व महसूस करते हैं।
कस्तूरबा गांधी के संदेश का है असर : स्थानीय लोग बताते हैं कि अंग्रेजों के समय में यहां पर कांग्रेस की एक बड़ी बैठक हुई थी। इसमें कई प्रमुख नेता आए थे। उनमें महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी भी मौजूद थी। इस दौरान उन्होंने गांव वालों का आह्वान किया कि सुखी परिवार के लिए आबादी पर नियंत्रण करना जरूरी है। उन्होंने एक नारा दिया कि छोटा परिवार सुखी परिवार। यह बात गांव वालों को अच्छी लगी। उन्होंने उनकी बात को गांठ बांध ली।
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बेटा-बेटी में नहीं है कोई भेदभाव : उस दौरान गांव की आबादी 1700 थी। गांव वालों ने तय किया कि अपनी आबादी को स्थिर रखेंगे। वे लोग बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं करते थे। सभी लोग परिवार को दो बच्चों तक ही सीमित रखते थे। इस नियंत्रण की वजह से गांव में एक परंपरा भी बन गई। गांव वालों ने अपने बच्चों को भी इस परंपरा को बनाए रखने का संस्कार दिया। इसके चलते आज तक गांव वाले अपनी आबादी को नियंत्रित किए हुए हैं।
देश का एक माडल गांव बना : गांव के लोग बताते हैं कि परिवार नियोजन के मामले में यह गांव देश का एक माडल गांव बन गया है। इसका प्रमाण यह है कि इस गांव के आसपास के भी कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोगों ने भी इस सिद्धांत को अपनाया और अपनी आबादी को नियंत्रित किए हुए हैं। इससे न केवल उनके घर परिवार में प्रभाव पड़ा, बल्कि उनके गांव की आर्थिक उन्नति में भी सुधार देखने को मिल रहा है।
