Preparations To Tackle Pollution In Delhi: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की निगरानी के लिए इस बार वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर बनाए रखने के लिए श्रेणीबद्ध कार्य योजना (ग्रेडेड एक्शन प्लान) तैयार की गई है। मौसम में आए मामूली से बदलाव और प्रदूषण स्तर के बढ़ने के साथ ही शुक्रवार से सभी राज्यों में श्रेणी दो की व्यवस्था लागू कर दी गई है। क्योंकि वायु गुणवत्ता का स्तर राजधानी के कुछ इलाकों में 300 का आंकड़ा पार कर गया है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सभी राज्यों में और सख्ती बढ़ेगी क्योंकि पूर्वानुमान लगातार हालात और बिगड़ने के संकेत दे रहा है।
शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता के सबसे खराब हालात दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र और नोएडा में दर्ज किए गए हैं। अब हर राज्य सरकार को धूल कणों में कमी लाने के लिए सख्ती वाले प्रावधान लागू करने होंगे। इंडिया वायु गुणवत्ता सेवा (सफर) के मुताबिक इन क्षेत्रों में गुणवत्ता का स्तर 300 का भी आंकड़ा पार कर गया है। तय प्रावधानों के तहत श्रेणी एक के तहत उठाए जाने वाले प्रावधान की व्यवस्था गुणवत्ता का स्तर 201 से 300 तक ही लगाया जा सकता है।
इसके बाद जैसे ही इस स्तर में इजाफा होता है तो दूसरी श्रेणी की व्यवस्था लागू करने का प्रावधान है। यह व्यवस्था वायु गुणवत्ता आयोग द्वारा तय किए गए मानकों के आधार पर तय की गई है और प्रावधानों को लागू करने के लिए एनसीआर के सभी राज्य बाध्य हैं। ऐसा नहीं होने की स्थिति में आयोग उल्लंघन करने वाले राज्यो पर कार्रवाई कर सकता है।
दूसरी श्रेणी की व्यवस्था लागू होते ही सभी राज्यों में कचरा जलाने के मामलों की निगरानी बढ़ानी होगी और प्रदूषण में कमी लाने के लिए ऐसे मामलों को रोकना होगा। सभी राज्यों को पांच सौ वर्गमीटर से बड़े प्रोजेक्ट की जानकारी वेब पोर्टल पर उपलब्ध करानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि इन स्थलों की वजह से राज्य में प्रदूषण का खतरा नहीं बढ़े।
इसके अतिरिक्त खुले में कचरा छोड़ने के मामलों को नियंत्रित करना होगा। मार्ग पर धूल कण में कमी लाने के लिए पानी का छिड़काव करना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि जहां भी निर्माण से संबंधित सामग्री व मलबा है उसे ढककर रखा जाए।