दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त ने जब से पदभार संभाला है उन्होंने पूरे विभाग को मथना शुरू कर दिया है। सामने आ रही सूची से यह पता चलता है कि बड़े अधिकारियों के कार्यों में परिवर्तन किया गया है और काफी समय से जमे लोगों को हटाया गया है। लेकिन जानकारी के मुताबिक, दो माह के अंदर विभाग में 15000 से अधिक पुलिसकर्मियों को इधर से उधर किया जा चुका है।

अभी तक इसमें 85 अधिकारी और 158 एसएचओ का तबादला हो चुका है जो सूची के जरिए सामने आया है, जबकि इसके इतर हुए सैकड़ों कर्मचारियों के तबादले विभागीय हुए हैं। आयुक्त ने सर्वे कराकर अनुपयोगी विभागों में तैनाती को भी जानने की कोशिश की।

सालों से कुंडली मारकर बैठे पुलिस अधिकारियों और उनके मातहत काम कर रहे अधीनस्थों के दिन लद गए हैं। गुजरात कैडर के आइपीएस पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के आने के बाद करीब 15 हजार पुलिस वालों का स्थानांतरण अब तक हो चुका है। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पुलिस वालों के स्थानांतरण से खलबली मची है। इनमें विशेष, संयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त, एसएचओ से लेकर कनिष्ठ पदों पर बैठे पुलिस वाले भी शामिल हैं।

हालांकि कुछ इस स्थानांतरण प्रक्रिया से खुश भी हैं। इनमें सालों से जिला, सब डिवीजन या थाना नहीं मिलने या तैनाती ऐसे यूनिट में थी जो बस समय आने पर ही बाहर निकलते थे।दिल्ली पुलिस के करीब 80-85 हजार कर्मियों के साथ नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड मिलाकर करीब एक लाख कर्मी सुरक्षा में तैनात हैं। इनमें यातायात, सुरक्षा, पीसीआर, विशेष प्रकोष्ठ, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा, बटालियन, जांच, महिला व अन्य शामिल हैं।

अनुपयोगी जगह मिली तैनाती

पिछले दिनों पुलिस आयुक्त ने सब अपने जवानों का सर्वे कराया तो करीब पांच हजार पुलिस वाले ऐसे पाए गए जिनकी ड्यूटी ऐसे असंवेदनशील जगहों पर हैं जहां उनकी कोई उपयोगिता ही नहीं है। कुछ पुलिसकर्मी महीने में एक या दो बार कैदी को जेल से कोर्ट लाने ले जाने का कार्य कर नौकरी कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष एसीपी रहे बेदभूषण कहते हैं कि इससे पुलिस विभाग में हलचल है। आयुक्त राकेश अस्थाना ने कई ऐसे फैसले किए हैं जो शायद किसी राज्य की पुलिस में अब तक नहीं देखा गया है। इस स्थानांतरण से यह भी पता चल रहा है कि वह बटालियन को मजबूत करना चाह रहे है।