हरियाणा में सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में जाट एवं पांच अन्य जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने संबंधी विधेयक को मंजूरी मिलने के एक दिन बाद बुधवार (30 मार्च) को इसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। वकील सतनारायण यादव ने आरक्षण की इस व्यवस्था को इस आधार पर चुनौती दी है कि उच्चतम न्यायालय ने किसी भी राज्य में आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से अधिक करने के खिलाफ आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अदालत सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है।
साल 1992 के उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए यादव ने दावा किया कि हरियाणा सरकार जाटों के दबाव में आ गई। उन्होंने कहा कि दो या तीन राज्यों ने आरक्षण को 50 से अधिक करने की कोशिश की, लेकिन इन फैसलों को अदालतों में चुनौती नहीं दी गई। हरियाणा विधानसभा में उस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया जिसमें जाट और पांच अन्य समुदायों को नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। जाट के अलावा अन्य पांच जातियां जाट सिख, रोर, बिश्नोई, त्यागी और मुस्लिम जाट हैं। पिछले महीने हिंसक प्रदर्शन करने वाले जाटों ने आरक्षण देने के लिए तीन अप्रैल की समयसीमा तय की थी। उनके हिंसक आंदोलन में 30 से अधिक लोग मारे गए थे और 320 लोग घायल हुए थे तथा संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था।