Delhi News: दिल्ली कंज्यूमर कोर्ट ने हाल ही में एक हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक को सर्विस देने में लापरवाही बरतने का दोषी पाते हुए कस्टमर को 6.3 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। कमिशन ने यह भी पाया कि डीएचआई एशियन रूट्स मॉडर्न हेयर ट्रासप्लांट प्रोसेस करने के लिए सरकारी लाइसेंस के बिना काम कर रहा था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायत करने वाले विवेक कुमार ने गंजेपन के इलाज के लिए अपनी शादी से पहले 2012 में सफदरजंग एन्क्लेव में डीएचआई एशियन रूट्स क्लिनिक से संपर्क किया और 5 लाख रुपये की पेमेंट की। उन्होंने आयोग के सामने आरोप लगाया कि उन्हें 12 महीने बाद नतीजे मिलने का वादा किया गया था, लेकिन तीन सिटिंग के बाद भी उन्हें अपने गिरते हुए बालों में 1 पर्सेंट भी सुधार होता हुआ नजर नहीं आया। इसके बाद उन्होंने कमीशन में अपनी शिकायत दी।
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कमीशन ने पैसे वापस लौटाने का आदेश दिया
11 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 22 मई को कमीशन ने आदेश दिया कि डीएचआई एशियन रूट्स कुमार को 5 लाख रुपए लौटाए। इतना ही नहीं मेंटल हैरेसमेंट के लिए 1 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 30,000 रुपए भी लौटाए। कमीशन ने कहा, ‘एसपीए योग प्राइवेट लिमिटेड की यूनिट डीएचआई-एशियन रूट्स लाइसेंस दिखाने वाला कोई भी डॉक्यूमेंट पेश करने में कामयाब नहीं हुई। उनके पास ऐसे इलाज के लिए डॉक्टरों को नियुक्त करने के लिए सरकारी मंजूरी भी नहीं थी।’
पहले ही सर्जरी के सारे फायदे और नुकसान बताए थे – डीएचआई एशियन रूट्स
कमीशन ने कहा कि यह पूरा का पूरा प्रोसेस मेडिकल व्यापार के जैसा है। इसे लाइसेंस और एक्सपर्ट के बिना ही अंजाम दिया गया। साथ ही ऐसा भी लगता है कि यह केवल वित्तीय फायदे के लिए किया गया था। कुमार के आरोपों का जवाब देते हुए डीएचआई एशियन रूट्स ने तर्क दिया कि उसने मेडिकल स्टैंडर्ड के हिसाब से ट्रीटमेंट किया था और पहले ही सारी बातें बता दी गईं थीं। डीएचआई एशियन रूट्स ने दावा किया कि कुमार को प्रोसेस के बारे में बताया गया था और सर्जरी के सभी फायदे और नुकसान उन्हें समझाए गए थे। CM रेखा गुप्ता के बंगले को AAP ने बताया ‘मायामहल’