पटियाला में राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ (RGNUL) को सोमवार को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया। इसके बाद छात्रों ने कथित तौर पर बिना किसी पूर्व सूचना के गर्ल्स हॉस्टल में प्रवेश करने और लड़कियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए कुलपति के इस्तीफे की मांग की। वहीं इस बीच आरोपों से इनकार करते हुए वीसी प्रोफेसर जय शंकर सिंह ने कहा कि उन्होंने लड़कियों के छात्रावास का निरीक्षण करने और आधी रात के बाद धूम्रपान और शराब पीने वाले छात्रों की पहचान करने के लिए दौरा किया क्योंकि उन्हें कई शिकायतें मिली थीं। रविवार देर रात विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और छात्रों ने परिसर में स्थित वीसी के आवास के बाहर धरना दिया।
VC पर लगा आरोप
छात्रों ने आरोप लगाया कि वीसी औचक निरीक्षण के लिए लड़कियों के हॉस्टल में दाखिल हुआ। आरोप के अनुसार वह कुछ लड़कियों के कमरे तक भी पहुंच गए। छात्रों ने कहा कि यह पूरी तरह से छात्राओं की निष्ठा और निजता की अवहेलना है और आरोप लगाया कि वीसी ने लड़कियों के पहनावे पर भी सवाल उठाए और इस तरह उनकी निजता का उल्लंघन हुआ। विरोध बढ़ने पर रजिस्ट्रार प्रोफेसर आनंद पवार ने शिकायतों की जांच के लिए 9 सदस्यीय समिति का गठन किया और सोमवार दोपहर छात्रों को सौहार्दपूर्ण चर्चा के लिए बुलाया। हालांकि कोई छात्र नहीं आया। प्रशासन ने विश्वविद्यालय को बंद करने का आदेश दिया और छात्रों को घर जाने के लिए कहा गया। रजिस्ट्रार प्रोफेसर आनंद पवार ने कहा, “विश्वविद्यालय अगले आदेश तक बंद रहेगा क्योंकि छात्र कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे हैं।”
इस बीच छात्रों ने कहा कि वे केवल वीसी से बात करेंगे और जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते, तब तक पीछे नहीं हटेंगे या घर नहीं जाएंगे। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रविवार को वीसी ने लड़कियों के छात्रावास में प्रवेश करके सीमा पार की, जहां उनके माता-पिता को भी अनुमति के बिना अनुमति नहीं है। एक प्रदर्शनकारी छात्र ने आरोप लगाया, “वह महिला छात्रों और शिक्षकों पर लापरवाही से टिप्पणी करते हैं। एक बार उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि आगे की शादीशुदा जिंदगी की तैयारी के लिए महिला छात्रों को खाना बनाना आदि सिखाया जाना चाहिए।”
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वहीं पूरे मामले पर वीसी ने कहा, “जो लड़कियां शराब और धूम्रपान नहीं करतीं, वे लगातार शिकायत कर रही थीं कि कुछ अन्य लोग हॉस्टल के अंदर ऐसी चीज़ें लाते हैं। ये सब कार्यक्रम 12 बजे के बाद करते हैं। वे बाहर से खाना ऑर्डर करने के बहाने ऐसी चीजें मंगा लेते हैं। अब इनको कैसा रोका जाए? ऐसे छात्र दूसरे अच्छे आचरण वाले छात्रों पर बुरा प्रभाव डालते हैं। हमें ऐसे छात्रों की पहचान करनी थी। मैं अकेले नहीं बल्कि महिला वार्डन और कई अन्य छात्राओं के साथ अंदर गया। अच्छे व्यवहार वाली लड़कियां खुद मुझे अपना कमरा दिखा रही थीं।”
वीसी ने दावा किया कि प्रत्येक बैच में केवल कुछ मुट्ठी भर छात्र हैं जो मुद्दा बना रहे हैं। केवल उन्हें निरीक्षण से संबंधित समस्याएं थीं जबकि अन्य लोग (आज) अपनी कक्षाओं में बैठे थे। मैंने किसी भी महिला के कपड़ों पर एक भी टिप्पणी नहीं की। यह मुट्ठी भर छात्रों का झूठा आरोप है। इस बीच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जो विश्वविद्यालय के पदेन चांसलर भी हैं, उनको एक लिखित प्रतिनिधित्व में छात्रों ने वीसी के इस्तीफे की मांग की है।
