महानगर के पार्क स्ट्रीट इलाके में चलती कार में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार मामले के तीन मुजरिमों को तो अपने किए की सजा मिल गई। लेकिन उत्तर 24-परगना जिले के कामदुनी की बलात्कार पीड़िता के घरवालों को हादसे के ढाई साल बीत जाने के बावजूद अब भी इंसाफ का इंतजार है। वह भी तब जब मौके का दौरा करने वालीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक महीने के भीतर दोषियों को सजा दिलाने का एलान किया था। सात जून, 2013 को कामदुनी की एक कालेज छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।
इस घटना ने भी तब काफी सुर्खियां बटोरी थीं। चौतरफा दबाव की वजह से ममता ने घटना के दस दिनों बाद मौके का दौरा किया था। उसी समय उन्होंने एक महीने के भीतर दोषियों को सजा दिलाने का भरोसा दिया था। यही नहीं उन्होंने पीड़िता के भाई को स्थायी नौकरी देने का भरोसा दिया था। लेकिन अब उस बात को तीस महीने बीत गए हैं। पीड़िता के भाई का कहना है कि उसकी और उसके पिता की नौकरी अस्थायी है। काम पर नहीं जाने पर पगार नहीं मिलेगी। उसने कहा कि अब तक मुख्यमंत्री का एक भी वादा पूरा नहीं हो सका है।
कामदुनी की घटना की जांच करने वाली सीआइडी ने इस मामले में नौ अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था। उनमें से एक की जेल में मौत भी हो गई है। लेकिन अब तक इस मामले में गवाहों के बयान लेने का काम ही पूरा नहीं हुआ है। इस बीच, इस मामले की सुनवाई करने वाली अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संचिता सरकार के तबादले का आदेश जारी कर दिया गया है। इससे मामले के जल्द निपटारे की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। इस मामले के सरकारी वकील अनिंद्य राउत का कहना है कि नए न्यायाधीश के आने पर दोबारा तमाम गवाहों को अदालत में गवाही के लिए बुलाया जाएगा। ऐसे में मुकदमे का फैसला होने में देरी स्वाभाविक है।
अभियुक्तों ने उस छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उस पर शारीरिक अत्याचार भी किए थे। देर रात उसका क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ था। इस मामले के सामने आने के बाद कामदुनी के लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। आंदोलन के जोर पकड़ने पर ममता ने गांव का दौरा किया था और स्थानीय लोगों के व्यवहार से नाराज होकर वहां की दो महिलाओं-मौसमी कयाल और मृतका की सहपाठी रही टुम्पा कयाल को माओवादी करार दिया था। बाद में आंदोलन को बेकाबू होते देख कर मृतका के परिजनों को राज्य सचिवालय लाया गया। वहां उन्हें सरकारी नौकरी और आर्थिक मदद देने का भरोसा दिया गया। लेकिन वे तमाम वादे अब तक सरकारी फाइलों में धूल फांक रहे हैं। अब पार्क स्ट्रीट कांड में दोषियों को सजा मिलने के बाद कामदुनी के लोगों का सवाल है कि आखिर उन्हें इंसाफ कब मिलेगा?