राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के बाद पंजाब सरकार के सतर्क होने के बावजूद पंजाब में इस मौसम के दौरान 43 हजार से अधिक किसानों ने पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा ऐसे भी बहुत से किसान हैं जिन्होंने प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर पराली जलाने की घटनाओं को अंजाम दिया है। पराली के इस धुएं से पंजाब में कई बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं। पंजाब रिमोट सैंसिग केंद्र लुधियाना के जरिए सैटेलाइट के माध्यम से इस संबंध में जानकारी जुटाई गई है। पंजाब सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में पिछले साल 27 सितंबर से 18 दिसंबर तक करीब 43 हजार 814 घटनाएं दर्ज की हैं।
केंद्र की तरफ से 43 हजार 560 व पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए 254 केस दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक संगरूर जिले में पराली जलाने की कुल 6999 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें केंद्र के जरिए 6943 व 56 घटनाएं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने दर्ज की। इस जिले में पराली जलाने वाले किसानों को 26.15 लाख रुपए जुर्माना किया गया है जिनमें से केवल 7500 रुपए ही जमा हुए हैं। जिले में 696 घटनाओं की जांच की जा रही है, जबकि 3746 की केवल इस वजह से जांच नहीं की गई कि वहां किसानों की एकजुटता से कानून-व्यवस्था को दिक्कत खड़ी हो गई थी। पंजाब सरकार ने पराली को आग से बचाने के लिए दूसरे रास्ते की तरफ केंद्र का ध्यान दिलवाया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र को पत्र लिख कर 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग की है।