दिल्ली सरकार ईएलवी जब्त करने में शामिल पंजीकृत गाड़ियों के स्क्रैपिंग सुविधाओं (आरवीएसएफ) की जांच शुरू करने वाली है। इसको लेकर अधिकारियों ने बताया कि जिन वाहनों की समय सीमा समाप्त हो चुके है वाहन मालिकों की कई शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वह जल्द ही इस मामले की जांच के आदेश देंगे।
वहीं एक अधिकारी ने बताया कि जांच में वाहनों को जब्त करने, स्क्रैप करने और रिलीज करने में आरवीएसएफ द्वारा संभावित भूल, अव्यवस्था और अनियमितताओं की जांच की जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि इस अभियान में शामिल विभागों, जैसे परिवहन विभाग, यातायात पुलिस और एमसीडी, से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, ई.एल.वी. मालिकों ने परिवहन विभाग से शिकायत की है कि पुराने वाहनों को जब्त करने और स्क्रैप करने के लिए अधिकृत आर.वी.एस.एफ. ने वाहन मालिकों से टोइंग, हैंडलिंग और लॉजिस्टिक शुल्क के लिए अतिरिक्त पैसा वसूला है।
टोइंग और पार्किंग शुल्क में कटौती के बाद कम स्क्रैप को लेकर मिली शिकायत
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें समय पर स्क्रैप मूल्य नहीं मिला और विभाग की अनुमति मिलने के बावजूद, आरवीएसएफ ने उनके वाहन नहीं छोड़े। इसके अलावा, हमने देखा है कि अगर वाहन मालिकों को भुगतान भी किया गया, तो उन्हें टोइंग और पार्किंग शुल्क में कटौती के बाद कम स्क्रैप मूल्य मिला, जो दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।”
इसके अलावा, अधिकारियों ने कहा कि कई लोगों ने शिकायत की है कि आरवीएसएफ वाहन मालिकों को समय पर जमा प्रमाणपत्र (सीओडी) उपलब्ध नहीं करा रहे हैं और “गलत सीओडी तैयार कर रहे हैं, और मालिक की सहमति के बिना उसका व्यापार कर रहे हैं”। छूट योजना के तहत, नए गैर-परिवहन पेट्रोल/सीएनजी/एलपीजी वाहनों के लिए छूट 20% और डीज़ल वाहनों के लिए 15% है, जबकि परिवहन वाहनों के लिए यह छूट पेट्रोल/सीएनजी/एलपीजी के लिए 15% और डीज़ल के लिए 10% है।
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हालांकि, कर रियायतें स्क्रैप मूल्य के 50% से अधिक नहीं हो सकतीं। इसके अलावा, सीओडी जारी होने की तारीख से केवल तीन वर्षों के लिए ही मान्य है। इसके अलावा, नियमों के अनुसार, सरकारी स्वामित्व वाले या ज़ब्त किए गए वाहनों के लिए कोई रियायत उपलब्ध नहीं होगी।
अधिकारी ने आगे कहा, “इसके अलावा, आरवीएसएफ अपने रिकॉर्ड में यह दिखाते हैं कि वाहन स्क्रैप हो चुके हैं, लेकिन वास्तव में वे इन वाहनों को दूसरे राज्यों में अवैध रूप से बेचते हैं। कई लोगों ने बताया है कि उन्हें संदेश मिले हैं कि उनके नंबर वाले वाहन अलग-अलग राज्यों में टोल टैक्स दे रहे हैं।” अधिकारियों ने कहा कि अगर लोग 15 दिनों के भीतर आरवीएसएफ से अपने वाहन वापस नहीं लेते हैं, तो आरवीएसएफ को स्क्रैप की कीमत सरकारी खजाने में जमा करनी होगी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।
वहीं एक अधिकारी ने ये भी कहा, “स्क्रैपर्स ने अभी तक पैसा जमा नहीं किया है। इसमें बहुत बड़ी खामियां हैं। ये स्क्रैपर ईएलवी के संचालन के दिशानिर्देशों के अनुसार ऑडिट और रिकॉर्ड भी नहीं रखते हैं।” परिवहन विभाग ने सबसे पहले मार्च 2023 में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों के खिलाफ एक आक्रामक अभियान शुरू किया था। हालांकि, कई वाहन मालिकों द्वारा इस अभियान के खिलाफ कोर्ट का रुख करने के बाद, अदालत ने विभाग को इन वाहनों के स्क्रैपिंग और संचालन के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 39,273 वाहन स्क्रैप किए गए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 22,397 था।