पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने कमजोर ‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए पूर्व सैनिकों के मेडल लौटाए जाने या जलाए जाने को गलत ठहराया है। साथ ही उन्होंने अपनी मांगों को उठाने के लिए सरकार से बातचीत करने या अदालत जाने जैसे रास्तों का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा, ‘मुझे ओआरओपी (वन रैंक, वन पेंशन) से जुड़ी सरकारी अधिसूचना की पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्व सैनिकों की मांगों को पूरा करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति की गई है’। कॉलेज आॅफ डिफेंस मैनेजमेंट के एक सेमिनार से इतर एडमिरल प्रकाश ने पत्रकारों को बताया, ‘इसलिए मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि पूर्व सैनिक वार्ता की मेज पर आएं और उनकी जो भी मांगें पूरी नहीं हुई हैं, उनके बारे में सरकार से चर्चा करें’।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा अपनी मांगें उठाने के और भी कई रास्ते हैं। जैसे कि अदालत का रुख करना या सरकार से उन पहलुओं की समीक्षा की अपील करना, जिनमें सुधार की जरूरत है। एडमिरल प्रकाश ने कहा, ‘लेकिन मेरी निजी राय यह है कि मेडल जलाने की कोशिश उचित नहीं है। क्योंकि मेडल किसी व्यक्ति को मिला सम्मान होते हैं और मेडलों को सराहा जाना चाहिए और उन्हें सुरक्षित रखा जाना चाहिए। ये जलाने के लिए या किसी को वापस करने के लिए सड़क पर रखे जाने के लिए नहीं है’।

उन्होंने कहा, ‘एक सैनिक के लिए सबसे कीमती दौलत उसके मेडल होते हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दे पर मेडल लौटाने या उन्हें जलाने की रणनीति पर हमें पुनर्विचार करने की जरूरत है’।