ओडिशा में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य की सत्ता में बैठी बीजू जनता दल (बीजद) में अनबन का माहौल है। पिछले दिनों पार्टी के बड़े नेता बैजयंत जय पांडा ने अपने लेख में पार्टी और अध्यक्ष नवीन पटनायक की आलोचना की थी। इसके बाद बीजद में टूट की अटकलें लगाई जा रही हैं। पार्टी के एक अन्य नेता ने आरोप लगाया था कि पांडा भाजपा से करीबी बढ़ा रहे हैं। हालांकि पांडा ने इससे इनकार किया है। उन्होंने ट्वीट के जरिए साफ किया कि उनका लेख मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पार्टी में आत्मविश्लेषण करने की सीख की अगली कड़ी था। लोकसभा सांसद बैजयंत जय पांडा ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा, ”मेरा लेख नवीन पटनायक के पिछले महीने आत्मविश्लेषण वाले बयान की भावना के संदर्भ में था।”
उन्होंने कहा कि हाल के चुनावों में उनकी पार्टी की घटती लोकप्रियता पर हैरानी नहीं होनी चाहिए। व्यापक भ्रष्टाचार और बड़े लोगों के अपराधों को छुपाने की बात सही है। दूसरी पार्टियां अपनी नए नेतृत्व के चलते यहां पर जमीन बढ़ा रही हैं। गौरतलब है कि पंचायत चुनावों में बीजद को लगभग 200 सीटों का नुकसान हुआ था। इसका सबसे बड़ा फायदा भाजपा को हुआ था। उसने इन चुनावों में बीजद को कड़ी टक्कर दी। साथ ही कांग्रेस को पछाड़कर दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी बन गर्इ। गौरतलब है कि पांडा के लेख के बाद उनके साथी और सांसद तथागत सतपथी ने ट्वीट कर दावा किया था कि भाजपा उनकी पार्टी के एक सांसद के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने साथ ही कहा था कि भाजपा उनकी पार्टी को तोड़ना चाहती है। इसके जरिए वह ओडिशा में जल्द चुनाव कराना चाहती है।
सतपथी के आरोपों पर बैजयंत पांडा ने भी ट्वीट से जवाब दिया था। उन्होंने लिखा, ”वे बिना दक्षता के बोलते हैं। एक बार उन्हें बीजद से निकाला जा चुका है और वे दूसरी पार्टी में जा चुके हैं। मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं है। इसलिए उनकी बात को टालता हूं।” बता दें कि ओडिशा में बीजद लगातार चौथी बार सरकार में है। 2009 के बीजद और भाजपा का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद से नवीन पटनायक अपने दम पर मुख्यमंत्री बने हुए हैं।