ट्रांसजेंडरों की वकालत करने वाले संगठनों ने उनके लिए लाए जा रहे नए विधेयक में ‘अधिकार और हक’ के उपबंधों को जोड़ने की अपील की है। करीब एक दर्जन संगठनों ने इस बाबत प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि ट्रांसजेंडर विधेयक के नए मसौदे पर सरकार से अपील है कि वे इसमें ट्रांसजेंडरों के लिए ‘अधिकार और हक’ के उपबंध भी जोड़ें।

सामाजिक संगठनों मसलन संगम, ट्रासबुमेन, रिच ला के प्रतिनिधियों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता निश गुलुर, बीटी वेंकटेश का कहना है कि नए विधेयक में ट्रांसजेंडरों के अधिकारों और हकों के अधिकारों को आश्चर्यजनक रूप से हटा दिया गया है। जबकि 2015 में लाए गए विधेयक में यह था।

इससे उनकी समानता, गैर भेदभाव और सही जीवन के साथ उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अहम प्रावधान खत्म होने का खतरा खड़ा हो गया है। संगम की राजेश उमादेवी ने कहा- ट्रांसजेंडर (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2016 ‘ट्रांसजेंडर बच्चों’ के कल्याणकारी उपायों मसलन शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी हटा दिया गया है। निश गुलुर ने कहा कि यह इस वर्ग के लिए बड़ा झटका है।