पांच दिवसीय रामायण उत्सव में आसियान देशों के कलाकारों ने राम और सीता के जीवन के प्रसंगों को पेश किया। आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ने कमानी सभागार में किया। इसमें थाइलैंड, म्यांमार, लाओस, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, कंबोडिया, वियतनाम, ब्रुनेई, फिलीपींस के कलाकारों ने भाग लिया। समारोह का आरंभ थाइलैंड के खोन रामाकीन मास्क नृत्य नाटिका से हुआ। थाइलैंड में प्रा राम को प्रा नाराइ यानि नारायण का अवतार माना जाता है। थाई रामायण के कलाकारों ने सीता हरण और राम-रावण युद्ध के प्रसंग को पेश किया। थाई भाषा में राम को प्रा राम ,सीता को नांग सीदा व रावण को थोत्सकान के नाम से जाना जाता है। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने मोहक हस्त व पद संचालन करते हुए प्रसंग पेश किया। लाइव म्यूजिक, संवाद और गीतों के जरिए कथा को विस्तार से प्रस्तुत किया। उनके नृत्य में मास्क के जरिए पात्रों को पहचानना सहज था। वहीं सीता-राम, रावण-मारीच, सीता-रावण, सीता-हनुमान संवाद बहुत ही सुंदर तरीके से चित्रित किया गया।
समारोह की दूसरी संध्या में म्यांमार के कलाकारों ने सीता स्वयंवर और सीता हरण के दृश्यों को पेश किया। रॉयल पोंता के कलाकारों ने रावण यानी दसगिरि के द्वारा धनुष भंग के अंदाज को मोहक तरीके से उकेरा। वहीं पर्णकुटी में सीता को खुश करने के लिए राम और लक्ष्मण तरह-तरह के फूल लाते हैं, इस दृश्य को बहुत मनोरम तरीके से उकेरा। इस समारोह में मलेशिया के कलाकारों ने भरतनाट्यम नृत्य के जरिए राम कथा को पेश किया। अगले अंश में अयोध्या के महिमा के गान, पुत्रेष्ठि यज्ञ, राम जन्म, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार आदि को रचना ‘राजीवनेत्रम रघुवंशनाथं श्रीरामचंद्रं’, ‘साकेत नगर नाथ श्रीकांत जगन्नाथ, ‘राम कल्याणम रघुराम’ के जरिए चित्रित किया गया।
समारोह की तीसरी संध्या यानी 22जनवरी को लाओ पीडीआर के कलाकारों ने लाओ रामायण पर आधारित नृत्य नाटिका पेश की। उनकी प्रस्तुति फ्रालाक फ्रालाम में स्वर्ण मृग व सीता हरण के प्रसंग को प्रस्तुत किया गया। रावण यानी थोत्सकन अपने भाई मारीच यानी मालित से कहता है कि वह सीता यानी नांग सिदा को प्राप्त करने में मदद करे। कलाकारों ने मोहक अंग संचालन व पद संचालन पेश किया। उनके नृत्य में पंजे और पांव का काम बेहद सधा हुआ था।
अगली पेशकश इंडोनेशिया के कलाकारों की थी। उन्होंने लेगोंग नृत्य शैली में नृत्य नाटिका पेश की। उनकी पहली प्रस्तुति लेगोंग लोबॉग में बाली यानी सुबाली व सुग्रीव के युद्ध के दृश्य को पेश किया गया। नृत्यांगनाओं के मुख, आंखों व अंगों से भावों को बखूबी उकेरा। सिंगापुर के कलाकारों ने अंजानेयम हनुमान पेश किया। अप्सरा आटर््स के कलाकारों ने भरतनाट्यम शैली में हनुमान के जन्म और हनुमान से जुड़ी अन्य कथाओं को दर्शाया। कंबोडिया के कलाकारों ने रेमक में सीता हरण प्रसंग पेश किया। जबकि, वियतनाम के कलाकारों ने परंपरागत चाम नृत्य में बसंत के बहार को दर्शाया। इसके अलावा अंतिम संध्या यानी 24 जनवरी को ब्रुनेई के कलाकारों ने शेरी राम और फिलीपींस ने अपनी-अपनी नृत्य शैलियों में नृत्य पेश किया।
