One Nation One Election: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान अखिलेश ने वन नेशन और वन इलेक्शन को लेकर सवाल खड़े। सपा प्रमुख ने इस दौरान बीजेपी सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। अखिलेश ने कहा कि क्या महिला आरक्षण लागू होगा? क्या सरकार तैयार है? कब तक लागू होगा? वन नेशन, वन इलेक्शन रिपोर्ट 18,626 पेज लंबी थी और इसे 191 दिनों में पूरा किया गया…यह अपने आप में बताता है कि किस तरह की चर्चा हुई होगी…ये भाजपा की रिपोर्ट है जो तैयार की गई है- एक राष्ट्र, एक चुनाव और एक दान।

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, “अखिलेश यादव इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि एक राष्ट्र, एक चुनाव से उनकी नाव डूब जाएगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू होने के बाद वे सांप्रदायिक मुद्दे नहीं उठाएंगे। एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू होने पर विकास का एजेंडा होगा- राज्य और देश…”

इससे पहले मंगलवार को अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?

सपा चीफ ने कहा कि भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? ⁠किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा? इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?

अखिलेश यादव ने पूछा कि कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य ज़रूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं। जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।

सपा प्रमुख ने तंज कसते हुए पूछा कि चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमज़ोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।

यूपी में STF की पोस्टिंग को लेकर अखिलेश ने उठाए सवाल

इससे पहले अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की पोस्टिंग को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने एक्स पर लिखा था कि ‘सरेआम ठोको फोर्स’ में तैनात लोगों का आँकड़ा बता रहा है कि ये तथाकथित ‘विशेष कार्य बल’ (विकाब) कुछ बलशाली कृपा-प्राप्त लोगों का ‘व्यक्तिगत बल’ बनकर रह गया है। जो जनसंख्या में 10% हैं, उनको 90% तैनाती और जो जनसंख्या में 90% हैं, उनको 10% तैनाती। इसका मतलब, इस बल के इस्तेमाल किये जाने का कोई खास मक़सद है, जिसके कारण ऐसी तैनाती हुई है। ‘विकाब’ के बारे में यूं भी कहा जा सकता है : बलशालियों द्वारा, बलशालियों के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लेकिन निर्बलों के ख़िलाफ़।

सपा चीफ ने आगे लिखा था कि देखिएगा कि इस आंकड़े के सामने आते ही, कैसे अपना मुँह बचाने के लिए शासन-प्रशासन के स्तर पर कॉस्मैटिक उपचार होगा और कुछ उपेक्षित लोगों को दिखावटी पोस्टिंग दी तो जाएगी लेकिन ‘विशेष प्रयोजन की पूर्ति’ के समय, कोई भी बहाना बनाया जाएगा पर साथ नहीं ले जाया जाएगा। ‘विकाब’ वाले विकास कैसे कर सकते हैं? उप्र के लिए ‘विकाब’ विकार है।