ओडिशा से एक दिल दहला देने वाली दास्तान सामने आई है। अंगुल जिले के किशोरीनगर तालुका के बिसाना गाँव में एक बुजुर्ग महिला तीन बच्चों के साथ स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाया गया शौचालय में पिछले दो महीने से रह रही थी। बच्चों में दो लड़कियां और एक लड़का है। सभी कम उम्र के हैं। दोनों लड़कियों की उम्र 5 और 8 साल है, वहीं लड़के की उम्र 6 साल है।
तीनों बच्चे तीन साल पहले माँ के निधन के बाद अपनी नानी बिमला प्रधान के साथ रहने के लिए आए थे। माँ की मौत के बाद उनके पिता ने उन्हें छोड़ दिया था। प्रधान पहले एक मिट्टी के घर में रहती थीं। वह अपना अधिकतर समय काम की तलाश में जंगल और गाँवों में भटकते हुए बिताती थी। बुजुर्ग महिला ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि उसके पास कोई जमीन नहीं है। उन्हें जहां जगह मिलती है वे वहीं रहने लगती हैं। लेकिन अब वे बूढ़ा हो रही हैं और ऐसा नहीं कर सकती।
प्रधान ने कहा “अब मेरे साथ तीन बच्चे भी हैं। इस सीजन में बारिश के बाद, मिट्टी का घर क्षतिग्रस्त हो गया था। हाल ही में शौचालयों का निर्माण किया गया था और कोई भी उनका उपयोग नहीं कर रहा था। इसलिए मैं बच्चों के साथ वहां रहने लगी। हमने खुले में खाना बनाते हैं और रात को बारिश होने पर बच्चे अंदर सो जाते हैं। हमारे पास अब और कुछ नहीं है।”
स्थानीय कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप के बाद, महिला और बच्चों को बुधवार को अस्थायी रूप से पंचायत कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद उन्हें पुनर्वास केंद्र भजे दिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होने मदद के लिए प्रशासन या ग्राम पंचायत से संपर्क किया था, बिमला ने कहा, “वे दस्तावेज मांगते हैं और मेरे पास कोई दस्तावेज नहीं है। मैं काम की तलाश में आगे घूमती रहती हूं। लॉकडाउन के कारण एक जगह फंस गई थी।”