ओडिशा में बालासोर ट्रेन हादसे के बाद धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य हो रही हैं, लेकिन हादसे में अपनों को खोने वाले लोग और उनके रिश्तेदार अपनी नहीं मिटने वाली पीड़ा लेकर घरों को लौट गये हैं। घटनास्थल पर अब सिर्फ टूटीं बोगियों का मलबा पड़ा है, जिसे मेन ट्रैक से हटाकर किनारे कर दिया गया है। रेल विभाग ने मलबे के चारों ओर हर कपड़े से घेराव कर दिया है। वैसे तो स्टेशन के आसपास सन्नाटा पसरा है, लेकिन घटनास्थल को देखने के लिए रोजाना सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं और वहां के दृश्य को मोबाइल के कैमरे में कैद कर रहे हैं।

वहां पर पहुंच रहे लोगों का कहना है कि घटनास्थल को देखकर समझा जा सकता है कि हादसा कितना बड़ा रहा होगा। उसको यादकर रोएं कांप जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि घटना के पीछे तोड़फोड़ से इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार को इस एंगल से भी जांच करानी चाहिए। पीड़ित जिन हालातों से गुजरे होंगे वह सोचकर कंपकंपी आती है।

पीटीआई की खबर के मुताबिक 12वीं का छात्र अर्जुन ने कहा, “मैं रविवार दोपहर को यहां आया था जब सब कुछ फैला हुआ था था। सैकड़ों पुलिस, राहत एवं बचाव कर्मी मौके पर शवों की तलाश कर रहे थे।”

उन्होंने कहा कि अब लगभग 100 घंटे बाद चीजें नार्मल हो गई हैं और ट्रेन की सामान्य आवाजाही शुरू हो गई है। हालांकि कई ट्रेनें अब भी रद्द हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

जो लोग अब भी लापता हैं, उनके परिजन उनके बारे में पता लगाने के लिए बालासोर, भुवनेश्वर और कटक के अस्पतालों और पोस्टमार्टम हाउस जाने से पहले एक बार घटनास्थल का दौरा जरूर कर रहे हैंं।

शुक्रवार (2 जून 2023) को ओडिशा के बालासोर जिले के बाहानागा बाजार (Bahanaga Bazar) स्टेशन पर हुए ट्रेन हादसे में कुल 278 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक हजार से ज्यादा लोग घायल हो गये थे। तीन ट्रेनें हादसे का शिकार बन गई थीं। कोरोमंडल एक्सप्रेस के डीरेल होने के बाद एक मालगाड़ी से टकराने की वजह से यह दुर्घटना हुई थी। पीछे से इसकी चपेट में एक और ट्रेन भी आ गई।